अन्तर्राष्ट्रीय आर्ट ऑफ गिविंग(17मई,2023) के
वर्षः2023 का थीम है-मददगार की मदद
अशोक पाण्डेय
राष्ट्रपति पुरस्कारप्राप्त .
ओडिशा की धरती के सच्चे देवदूत,आचार-व्यवहार और कर्तव्यबोध में निःस्वार्थ मानवतावादी,आजीवन गांधीवादीऔर उदारवादी प्रोफेसर अच्युत सामंत भुवनेश्वर(ओडिशा की राजधानी) स्थित कीट-कीस दो विश्वविख्यात शैक्षिक संस्थानों के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा के सांसद हैं।1992-93 की प्रो. सामंत की कीट-कीस शैक्षिक पहल आज दो कीट-कीस डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुकी है।प्रोफेसर अच्युत सामंत के इस वास्तविक जीवन-दर्शनःअन्तर्राष्ट्रीय आर्ट ऑफ गिविंग(17मई,2023) केवर्षः2023 का थीम है-मददगार की मदद।2023 सेयह प्रतिवर्ष 17मई कोहर्षोल्लास के साथ पूरे विश्व में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत प्रो.सामंत ने 17मई,2013 को अपनी बैंगलुरु यात्रा के दौरान आरंभ किया था।इस जीवन-दर्शन के मूल में कीट देता है और कीस लेता है। प्रो. सामंत को अपना आदर्श मानकर ओडिशा,भारत समेत विश्व के कुल लगभग 120 देशों के लाखों उनके चाहनेवाले इसे अपनी ओर से स्वेच्छापूर्वक प्रतिवर्ष मनाते हैं।सच माना जाय तो इस जीवन दर्शन को अपनानेवाला देने में स्वयं में खुशी और आनंद का अहसास करता है।यह जीवन दर्शन एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है।यह अंतर्राष्ट्रीय आर्ट आफ गिविंगः जन-जन के लिए प्रेम-आत्मीयता का य़थार्थ पैगाम बन चुका है।जिसप्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने वास्तविक जीवन दर्शन में जगत को प्रेम का पावन संदेश दिया।राष्ट्रपिता बापू ने भारत को आजाद कराने के लिए सत्य,अहिंसा और त्याग दिया ठीक उसी प्रकार प्रोफेसर अय्चुत सामंत ने ओडिशा,भारत तथा पूरे विश्व में शांति,करुणा,दया,प्रेम,सहानुभूति,परोपकार,शांति-अमन-चैन, भाईचारा,सहयोग,प्रेम और विश्वकल्याण के लिए अपना अंतर्राष्ट्रीय आर्ट ऑफ गिविंग जैसा जीवन-दर्शन दिया।गौरतलब है कि प्रोफेसर अच्युत सामंत ओडिशा के अविभाजित कटक जिले के कलराबंक गांव में जनवरी,1965 में जन्मे घोर आर्थिक संकट रुपी कीचड से उत्पन्न ऐसे कमल हैं जिनके यशस्वी तथा तेजस्वी व्यक्तित्व की खुशबू से आज कीट-कीस-कीम्स आदि पूरी तरह से महमह है।उनका वास्तविक जीवन-दर्शनःआर्ट ऑफ गिविंग को सारा विश्व स्वेच्छापूर्वक प्रतिवर्ष 17मई को मनाता है। सच तो यह भी है कि उनके सरल, सहज, आत्मीय,मृदुल,मिलनसार और मददगार स्वभाव के चलते सारे जरुरतमंद उनको दिल से चाहते हैं। इसीलिए उनके 2023 के वास्तविक जीवन-दर्शनःआर्ट ऑफ गिविंग को-मददगार की मदद के रुप में 17मई को मनाया जा रहा है।प्रो. सामंत के विदेह जीवन का मूलमंत्र है- “मानव-सेवा ही माधव सेवा है।प्रोफेसर अच्युत सामंत की वास्तविक अमानत हैःउनका संत-स्वभाव,संत-संगति और आध्यात्मिक ज्ञान की सतत चाहत।आत्मविश्वासी, सत्यनिष्ठ और सदाचारी प्रो.सामंतप्रोफेसर यह मानते हैं कि जीवन का सबसे बडा सत्य है- गरीबी जो हमेशा पाप को जन्म देती है।पापी पेट कुछ भी गलत कर सकता है। लेकिन प्रोफेसर सामंत के बाल्यकाल की घोर गरीबी ने उन्हें देवदूत बना दिया है।उन्हें जीवित मसीहा बना दिया है। वे मानवता के सच्चे रक्षकतथा मानवता के यथार्थ पालनहार बन चुके हैं।उनका पैतृक गांव उनके भगीरथ प्रयत्नों से एशिया का स्मार्ट गांव बन चुका है जबकि की उनकी पंचायतमाणपुर आदर्श पंचायत है।सच कहा जाय तो महान शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत का बाल्यकाल आर्थिक संकटों का दुर्भाग्यपूर्ण काल था। जिसमें उनको नफरतों,तिरस्कारों,उपेक्षाओं तथा परेशानियों का सामना करना पडा था। इसीलिए इसीलिए वे अपने बाल्यकाल से ही यह संकल्प ले लिया था कि वे आजीवन दीन-दुखियों की सेवा करेंगे।यह उनका यह जीवन दर्शन-अन्तर्राष्ट्रीय आर्ट ऑफ गिविंग आज पल्लवित,पुष्पित और फलित होकर यू.एन. के भी आकर्षण का केन्द्र बन चुका है।प्रोफेसर अच्युत सामंत के वास्तविक जीवन-दर्शनःअन्तर्राष्ट्रीय आर्ट ऑफ गिविंग,वर्षः2023 के अपने निर्धारित थीम-मददगार की मदद के साथ जी20 के सपनों को सार्थक बनाने में मील के पत्थर का काम कर रहा है।
अशोक पाण्डेय