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“बिना सोचे -विचारे कुछ भी न करें!”

-अशोक पाण्डेय

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सोच- विचार और चिंतन-मनन जीवन की कामयाबी की पहली सीढ़ी है। “बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय।”पश्चाताप करने से क्या फायदा जब जीवन ही बर्वाद हो जाय। एक मानसिक अवस्था है जिसको आत्मग्लानि कहते हैं लेकिन यह विचार केवल विलक्षण व्यक्तित्व के साथ ही देखा गया है। हमसभी यह जानते हैं कि युद्ध कोई देश नहीं लड़ता है अपितु दो विचार लड़ते हैं। महाभारत की लड़ाई से लेकर दोनों विश्व महायुद्धों को देख लें! रुस और यूक्रेन के युद्ध को देख लें!-सोच- विचार और चिंतन-मनन कार्य करने से पहले करें और जब कार्य करते रहें तब भी सोच -विचार और चिंतन-मनन उस कार्य की कामयाबी के संबंध में चलते रहना चाहिए। भारत के स्वर्गीय राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा नवीन चिंतन और मनन की बात भारत के विकास के लिए करते थे और उसको उन्होंने अपने जीवन में अपनाया।
मान्यवर,आप भी नई उम्मीदों के साथ अपना काम सोच -विचार कर और कार्य करने से पूर्व चिंतन -मनन कर अवश्य करें!
-अशोक पाण्डेय

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