-अशोक पाण्डेय
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जब आपको वाणी का वरदान मिला है तो यथासंभव मधुर बोलें! सोच-समझकर बोलें!
हितकारी बात बोलें!
सभी के मंगल की बात बोलें!
बिना स्वार्थ की बात बोलें!
जगन्नाथ को याद करते हुए मधुर बोलें!
अपनी मधुर वाणी को जगन्नाथ की वाणी बनाएं!
-अशोक पाण्डेय