-अशोक पाण्डेय
जिस प्रकार सूर्य की रोशनी, चांद की चांदनी और धरती की धीरता का शाश्वत संदेश सृष्टि को कायम रखा है ठीक उसी प्रकार ब्रह्मा जी का देवता, मनुष्य और राक्षसों को दिया गया एक अक्षर उनके लिए शाश्वत धरोहर है। हुआ यों कि एक बार देवता, मनुष्य और राक्षस तीनों एकसाथ मिलाकर उपदेश प्राप्ति की लालसा से ब्रह्मा जी के पास गये। तीनों ने ब्रह्मा जी से निवेदन किया कि वे तीनों को कोई उपदेश दें जिससे तीनों का जीवन सफल हो सके। ब्रह्मा जी ने उपदेश दिया -“द”। तीनों उपदेश प्राप्त कर लौट आए। देवताओं ने “द” का उपयोग दमन के रूप में प्रयुक्त किया अर्थात इंद्रियों के दमन के रूप में। मनुष्य ने “द” का प्रयोग दान के रूप में किया जबकि राक्षसों ने “द” का प्रयोग दया के रूप में किया। आप भी ज़रा विचार करें देने की मनोवृत्ति अपनाएं!
-अशोक पाण्डेय
