प्रस्तुतिः अशोक पाण्डेय
सत्य,अहिंसा तथा त्याग के सच्चे पुजारी राष्ट्रपिता महात्मागांधी ने जैसे ही अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के नेतृत्व की जिम्मेदारी स्वयं संभाली,ऐसा लगा कि पूरे भारत का जनमानस जग उठा। “चल पडे जिधर दो डगमग में,चल पडे कोटि पग उसी ओर।“ ओडिशा भी स्वतंत्रता आंदोलन में तन,मन और धन से सहयोग दिया। गांधीजी भी 07मई,1934 को पहली बार ट्रेन से श्री जगन्नाथ पुरी आये। 08मई,1934 को भोर में जगत के नाथ श्री श्री जगन्नाथ भगवान का दिव्य आशीर्वाद प्राप्तकर ठीक 05.30बजे से श्रीमंदिर के सिंहद्वार से अपनी हरिजन पदयात्रा का आरंभ किये। हरिजन पदयात्रा में गांधीजी के साथ मीरा बहन,अमृतलाल ठाकुर,सुशीला बहन, उमा बजाज, जमनालाल बजाज, जमनालाल बजाज की पुत्री पदमावती देवी,जयप्रकाश नारायण की पत्नी ,बी.जे. देसाई, गोपोबंधु चौधरी,रमा देवी,हरेकृष्ण मेहताब,नीलकण्ठ दास,जदुमणि मंगराज,विचित्रानन्द दास, विनोद कानुनगो,सुरेन्द्र पटनायक,सहदेव दास और जर्मन पत्रकार कुर्त बुटो आदि गांधीजी के साथ-साथ पुरी से हरिजन पदयात्रा पर चले। 1921 से लेकर 1946 तक गांधीजी कुल लगभग 8 बार ओडिशा आये। उस दौरान ओडिशा के हरिजन गांधीजी को जीवित भगवान के रुप में मान्यता दिये। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण ओडिशा के सम्बलपुर नगरपालिका के वार्ड नं.1 भात्रा का हरिजन गांव जहां का एक हरिजन बालक अभिमन्यू कुमार जो 1926 में गांधीजी के आजादी के विचारों से प्रभावित होकर अपने भात्रा गांव में भारत का पहला गांधी मंदिर बनाने का फैसला किया।भात्रा गांव के लगभग 200 हरिजनों ने उसके विचारों का स्वागत किया और अभिमन्यू कुमार के अदम्य साहस तथा उत्साह को साकारकर भात्रा में भारत का पहला गांधी मंदिर बना दिया। सम्बलपुर के तात्कालीन राजस्व डिविजनल कमिश्नर श्री रवीन्द्र नाथ महंती द्वारा 23मार्च,1971 में गांधी मंदिर की नींव डाली गई। ओडिशा के गंजाम जिले के खालीकोट आर्ट कालेज के महान शिल्पकार तृप्तिभूषण दासगुप्ता ने गांधीजी की तीन फीट और पांच फीट ऊंची कांसे की सुंदर मूर्ति गढी। उसे लाकर भात्रा गांधी मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। 11अप्रैल,1974 को ओडिशा की तात्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीया नंदिनी सतपथी ने भारत के उस इकलौते गांधी मंदिर को राष्ट्र के नाम समर्पित किया। हरिजन अभिमन्यू कुमार ने गांधीजी को अपने इष्टदेव के रुप में गांधीजी की भगवान के रुप में पूजा आरंभ की। मात्र 18 वर्ष की उम्र में अभिमन्यू कुमार सम्बलपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से लगातार चार बार विधायक बने। उनके निधन के बाद आज गांधीमंदिर के अस्तित्व को बचाने की आवश्यकता है।
गांधीमंदिर की विशेषताएं-
गांधीमंदिर के निर्माण में कुल तीन वर्ष लगे।गांधीमंदिर के प्रवेशद्वार के ठीक सामने राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोकस्तम्भ है। गांधीमंदिर के गुंबज पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज 24 घण्टे फहराता है। मंदिर में गांधीजी की पूजा भगवान के रुप में प्रतिदिन होती है। मंदिर में प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस,गणतंत्र दिवस,गांधीजयंती तथा बालदिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भात्रा गांव का प्रत्येक किसान अपने खेतों में काम करने जाने से पहले गांधीमंदिर आकर गांधीजी की पूजा करता है। मंदिर में रामधुन सदैव बजते रहता है। मंदिर द्वारा एक गांधी विद्यालय भी चलाया जाता है। आज उस गांधी मंदिर में पूरे विश्व से गांधीजी के जीवन-दर्शन पर शोध किया जा रहा है। गांधीमंदिर संचालन समिति के श्री प्रमोद कुमार का यह मानना है कि पिछले लगभग तीन दशकों से गांधीमंदिर की स्थिति बहुत खराब है।मंदिर की दीवारें टूट रहीं हैं। मंदिर की रंगाई-पोताई की सख्त जरुरत है। प्रतिदिन पूजा-पाठ करने की सामग्री आदि की कमी है। ऐसे में,भारत के इकलौते गांधीमंदिर को बचाने के लिए मंदिर संचालन समिति एकसाथ ओडिशा सरकार तथा केन्द्र सरकार के यह निवेदन करना चाहेगी कि हर कीमत पर भारत के इकलौते गांधीमंदिर को बचाया जाय और दुनिया के टूरिस्टों के आकर्षण का उसे केन्द्र बनाया जाय।
अशोक पाण्डेय
भारत का इकलौता गांधीमंदिरः ओडिशा में
