-व्यक्तिगत सोच: अशोक पाण्डेय की।
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त्रेतायुग से यह यथार्थ और अनुकरणीय आदर्श व्यवस्था भारत में रही है और भारत को विकसित बनाने में सहायक रहे हैं: गुरुकुल, गुरु वसिष्ठ और बालक श्रीराम। यही व्यवस्था द्वापर युग में भी रही है। अगर ईमानदारी से विचार किया जाय तो आज नालंदा जैसे विश्वविद्यालय, चाणक्य जैसे गुरु और देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद जैसे शिक्षक की आवश्यकता है भारत को पुनः विकसित राष्ट्र बनाने के लिए।
-अशोक पाण्डेय