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भाव ग्राही हैं पुरुषोत्तम श्री जगन्नाथ जी

-अशोक पाण्डेय

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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान जगन्नाथ जी कलियुग के एक मात्र भाव ग्राही जगदीश हैं। यह अनुभव उनकी कुल 13 यात्राओं (उत्सवों) की सात्विक और तात्विक समीक्षा से पता चलता है।
साधु (सज्जन) स्वभाव भी यही है : “साधु भूखा भाव का।”
मान्यवर, श्रावण मास सद्गुरु का मास है । इसीलिए आप भी अपनी भावना और भाव को पवित्र रखिए।
-अशोक पाण्डेय

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