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भुवनेश्वर में पहली बार आर्ट आफ गिविंग का 09वां स्थापना दिवस पब्लिक समारोह के रुप में मनाया गया

भुवनेश्वरः17मईःअशोक पाण्डेयः
कीट-कीस-कीम्स के प्राणप्रतिष्ठाता,कंधमाल लोकसभा सांसद,महान शिक्षाविद् तथा निःस्वार्थ समाजसेवी प्रोफेसर अच्युत सामंत के वास्तविक जीवन-दर्शनः आर्ट आफ गिविंग का 09वां स्थापना दिवस 17मई को राजधानी भुवनेश्वर में पहली बार पब्लिक मीटिंग के रुप में होटल स्वस्ति प्रीमियम,जयदेवविहार में सायंकाल 5.00 बजे से मनाया गया।समारोह के मुख्य अतिथि थे ओडिशा के मान्यवर राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल जी तथा सम्मानित अतिथि थे संत बाबा रामनारायण दास,एसओपीएस,ओडिशा शाखा के प्रेसिडेंट तथा ओडिया समाज के प्रकाशन प्रमुख श्री निरंजन रथ,खण्डगिरि स्थित शिवानन्द सेंटनरी ब्याज हाई स्कूल के प्रेसिडेंट स्वामी शिवच्चिदानन्द स्वामी तथा आर्ट आफ गिविंग के प्राणप्रतिष्ठाता प्रोफेसर अच्युत सामंत।स्वागत भाषण दिया प्रोफेसर अच्युत सामंत। उन्होंने बताया कि 2013 की 17मई को जब वे बैंगलोर जा रहे थे तो यह विचारःआर्ट आफ गिविंग का उनके मन में दैव संयोग से आया जिसको आज भारत समेत विदेशों के कुल 110 देश के उनके लाखों शुभचिंतक मना रहे हैं।इस वर्ष का थीम हैःहोप,हारमोनी तथा हैपीनेश।उन्होंने बताया कि वे यूएन के समक्ष यह प्रस्ताव रखेंगे कि उनके जीवन-दर्शन जिसे अन्तर्राष्टीय स्तर पर मनाया जा रहे उसे यूएन 17मई को अन्तर्राष्ट्रीय आर्ट आफ गिविंग डे के रुप में मनाया जाय।अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर गणेशीलाल ने आर्ट आफ गिविंग से सक्रिय रुप से जुडे लोगो को सम्मानित किया तथा अन्तर्राष्ट्रीय आर्ट आफ गिविंग की प्रथम स्मारिका का लोकार्पण भी किया। उन्होंने अपने सारगर्भित संबोधन में यह बताया कि प्रोफेसर अच्युत सामंत के जीवन-दर्शनःआर्ट आफ गिविंग को विश्व के लोगों ने पसंद किया और उसे सराहा। सचमुच प्रोफेसर सामंत की सोच परोपकारवादी है। आत्मचिंतनवादी है। उन्होंने प्रोफेसर सामंत को इसके लिए बधाई दी और सभी से यह निवेदन किया कि सभी प्रोफेसर अच्युत सामंत के निःस्वार्थ सहयोग,सहानुभूति,करुणा,दया तथा अपनत्व भाव को अपनायें। मंचासीन सभी सम्मानित अतिथियों ने अपने-अपने भाषण में प्रोफेसर अच्युत सामंत के आर्ट आफ गिविंग अवधारणा की सराहना की और उसे मानव-जीवन की सार्थकता के लिए उपयोगी बताया।
अशोक पाण्डेय

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