-अशोक पाण्डेय
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‘मर्यादा’एक शाश्वत व व्यक्तिगत जीवन शैली है जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के व्यक्तिगत जीवन से,बाल संस्कार से राज संस्कार तक प्रस्फुटित होकर सनातनी जीवन मूल्य बनकर हमारा पथ-प्रदर्शन कर रही है। हमारे रहन-सहन,बात -विचार, आचरण, व्यवहार, वाणी और शील आदि में आज मर्यादा का होना बहुत जरूरी है। साथ ही साथ हमें कृपालु बनने की आवश्यकता है।संवेदनशील बनने की आवश्यकता है। करुणामय बनने की आवश्यकता है। आपसी प्रेममय भारत के निर्माण के लिए मर्यादित रुप से सहयोग करने की आवश्यकता है। और यह काम आज हमें दिन के ठीक बारह बजे(जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का प्राकट्य हो तब) संकल्पित मन से करना चाहिए।
जय श्रीराम!
-अशोक पाण्डेय
