-अशोक पाण्डेय
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एक बेटा अपनी मां की नित्य सेवा करता था। वह प्रतिदिन अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर सबसे पहले अपनी बूढ़ी मां का चरणस्पर्श करके उसके लिए बाजरे खिचड़ी बनाकर देता और पढ़ने स्कूल जाता। स्कूल से आने के बाद भी शाम को खेलने जाने से पहले अपनी मां के लिए चाय बनाकर देता था। रात में मां जब सो जाती तब वह पढ़कर और खाना खाकर दूसरे कमरे में सो जाता। एक रात एक चोर आया। वह घर का सामना चुराकर एक चादर में बांधने लगा। तभी उस मातृभक्त बालक की नींद टूट गई। आकर देखा तो चोर वह पतिला भी ले जा रहा था जिसमें वह अपनी मां के लिए खिचड़ी पकाता था। था तो बालक इसलिए वह चोर से विनती किया कि वह पतिले को छोड़ दे जिसमें वह अपनी मां के लिए खिचड़ी पकाया करता था। चोर बालक के निवेदन पर खुश होकर सारा सामान छोड़ दिया और बालक को गले लगा लिया और यह कहा कि वह आगे कभी चोरी नहीं करेगा, हमेशा अपनी मां की सेवा करेगा।
मान्यवर,मां की सेवा करने का प्रचलन ओड़िशा में मैं लगभग चालीस सालों से देख रहा हूं, आपभी अपनी मां की सेवा करें और महाकुंभ के अमृत स्नान का लाभ उठाएं!
-अशोक पाण्डेय
