-अशोक पाण्डेय
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प्रतिदिन मेरे विचारों को पढ़ने वाले एक जिज्ञासु ने मुझसे पूछा है कि मानसिक भूख है क्या?
मन से संबंधित भूख को हमारे वेदों, पुराणों, उपनिषदों ने मानसिक भूख माना है। सच तो यह है कि मन हमारी सभी प्रकार की शक्तियों को दर्शाता है। देवता,दानव,मानव, ऋषि- मुनि,साधु- संन्यासी आदि सभी अपने मन अर्थात् मानसिक भूख की शांति के लिए ही हैं। हमारा मन चेतन नहीं जड़ है। इसका सिर्फ अहसास होता है। हमें अपने मन की भूख की शांति के लिए सत्संग, सद्गुरु, सद्गुण और अच्छी संगति की आवश्यकता है क्योंकि मानव जीवन का लगभग पचास प्रतिशत हिस्सा अध्यात्म के लिए ही है और उस मानसिक भूख को मिटाने के लिए हमें सदाचारी बनकर अपने मन को ईश्वर की सेवा और भक्ति में लगाना होगा।
-अशोक पाण्डेय