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‘मो माः मो प्रेरणा’(मेरी माःमेरी प्रेरणा) पुस्तक का लोकार्पण, पूर्व ओडिशा राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल के द्वारा

भुवनेश्वर, 1 दिसंबर: मातृत्व और प्रेरणा को समर्पित डॉ. अच्युत सामंत की नवीनतम कृति ‘मेरी मां: मेरी प्रेरणा’ का लोकार्पण सोमवार को एक विशेष समारोह में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओडिशा के पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने पुस्तक का अनावरण किया। इस अवसर पर पाँच अन्य पुस्तकों का भी विमोचन किया गया।“मां ही हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है” — प्रो. गणेशीलाल अंग्रेज़ी संस्करण के विमोचन में उपराष्ट्रपति के साथ उपस्थित रहे प्रो. गणेशी लाल ने मातृत्व की महिमा पर एक भावपूर्ण संबोधन दिया। उन्होंने कहा,“प्रकृति के तीन गुणों—सहित अज्ञान—से कोई मुक्त नहीं है। पर माँ ही हमें इनसे ऊपर उठाती है।”उन्होंने ओडिशा में बिताए अपने वर्षों को स्मरण करते हुए कहा,“यहीं आकर मैंने ‘माँ’ शब्द का अर्थ पहले से कहीं अधिक गहराई से समझा।” उन्होंने डॉ. सामंत की माता की महानता को रेखांकित करते हुए कहा,“उन्होंने देवकी की तरह महान त्याग किए—एक कृष्ण को इस धरती पर लाने के लिए। माँ अनिवार्य है। यदि ईश्वर तक पहुँचना है, तो पहले माँ को सम्मान देना होगा।”“मां सबसे शक्तिशाली शब्द है”—मनीष सिंगला,सुपुत्र प्रोफेसर गणेशीलाल प्रो. गणेशीलाल के पुत्र मनीष ने भी कार्यक्रम में भावपूर्ण वक्तव्य दिया और मां सं संबंधित सुमधुर गीत गाये।उन्होंने कहा,“‘माँ’ सबसे शक्तिशाली शब्द है। अच्युत सामंत ने मन भी पाया है और माया भी।” उन्होंने माँ पर एक भक्तिपूर्ण गीत भी प्रस्तुत किया, जिसने सभी को भाव-विभोर कर दिया। “प्रेम और स्नेह ही मेरा संबल”—डॉ. सामंत समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. अच्युत सामंत ने एक पुरानी भावुक स्मृति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा,“मुझे याद है जब प्रो. गणेशी लाल ने, राज्यपाल रहते हुए, मुझे मेरे कामों के कारण ‘किसी दूसरे ग्रह से आया व्यक्ति’ कहा था। उनका स्नेह हमेशा मुझे ऊर्जा देता आया है।” गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी के अवसर का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि पुस्तक में गीता के संदेश और भगवान कृष्ण के ‘दिव्य वत्स’ रूप से एक सांकेतिक जुड़ाव भी है।उन्होंने कहा कि ओड़िया संस्करण अंग्रेज़ी संस्करण का सीधा अनुवाद नहीं है, बल्कि इसमें उनके जीवन के कई गहरे अनुभव और अतिरिक्त प्रसंग शामिल हैं। उन्होंने कहा,“मैं लोगों के प्रेम और सम्मान के कारण कड़ी मेहनत करता हूँ। माँ ने सिखाया था—यदि तुमने कोई गलत काम नहीं किया है, तो किसी से डरने की ज़रूरत नहीं।”उन्होंने दोहराया कि कीट और कीस आज ओडिशा और उसके लोगों के संरक्षक बन चुके हैं। साहित्य, अध्यात्म और पत्रकारिता जगत की हस्तियों ने की सराहना कार्यक्रम में साहित्य, आध्यात्मिकता और पत्रकारिता जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ मौजूद थीं। वरिष्ठ लेखक रक्षक नायक ने पुस्तक को “अच्छे और कठिन समयों का संतुलित चित्रण, साहस और प्रेरणा से भरी हुई” बताया। प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रो. हरिकृष्ण सतपथी ने प्रो. गणेशी लाल को “ओडिशा का सर्वश्रेष्ठ नागरिक” बताया—ओड़िया भाषा, संस्कृति और साहित्य के प्रति उनके प्रेम के कारण। उन्होंने कहा कि वे “जन-जन के राज्यपाल” हैं, जिन्हें राज्य सदैव याद रखेगा। डॉ. सामंत को उन्होंने “सर्वोत्तम साधक” बताते हुए कहा कि उन्हें अब तक 70 से अधिक विश्वविद्यालयों ने मानद उपाधि प्रदान की है। “वे अपने संस्थानों के प्रति समर्पण और अपने लोगों के प्रति करुणा के प्रतीक हैं।” वरिष्ठ पत्रकार उमापद बोस ने कहा कि यह पुस्तक “इतिहास, अर्थशास्त्र और गीता के एक नए अध्याय का अद्भुत मिश्रण” है। आध्यात्मिक गुरु बाबा रामनारायण दास और साहित्यकार प्रो. शशांक चूड़ामणि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अशोक पाण्डेय

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