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“मौन साधना सबसे बड़ी तपस्या है।”

-अशोक पाण्डेय

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भारतवर्ष ऋषि -मुनियों का सनातनी देश है जहां के वासी अपने मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए आध्यात्मिक जीवन जीते हैं।जप,तप और यथाशक्ति दान-पुण्य भी करते हैं। हमारे चारों धाम,सभी तीर्थस्थल, सभी शैवपीठ, शक्तिपीठ,सभी गुरुकुल,सभी सद्गुरु, सभी सद्ग्रंथ आदि यह बताते हैं कि मनुष्य को मौन रहने की नित्य साधना करनी चाहिए। बहुत बोलना भी खराब है और बहुत चुप रहना भी खराब है। जीवन के अनेक ऐसे पौराणिक दृष्टांत हैं जिनसे स्पष्ट होता है कि मौन व्रत सर्वश्रेष्ठ व्रत है। त्रेतायुग में जब देवी सरस्वती का मृत्युलोक में जब अवतरण हुआ तो तमसा नदी के तट पर हुआ जहां वाल्मीकि मुनि अपने शिष्यों के साथ मौन होकर तपस्या कर रहे थे। मां सरस्वती ने उनको वाणी का वरदान दिया। उन्होंने रामायण की अमर रचना की। मित्रों, महाकुंभ संपन्न हो चुका है।नई सदी विकसित भारतवर्ष को देखना चाहती है। इसीलिए मौन‌ रहकर आप अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहें!
-अशोक पाण्डेय

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