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यादें- नयी-पुरानी(हिन्दी गजलें)फनकारःडा.अन्तर्यामी मिश्र

समीक्षकः अशोक पाण्डेय,राष्ट्रपति पुरस्कारप्राप्त.
डा. अन्तर्यामी मिश्र के प्रकाशित हिन्दी गजल संग्रहः यादें- नयी-पुरानी को मैंने शुरु से लेकर अंत तक अनेक बार पढा। अहिन्दीभाषी होते हुए भी डा.मिश्र ने यादें- नयी-पुरानी में हिन्दी और उर्दू की अच्छी गजलें अपने पाठकों को विरासत के रुप में दी है। संकलन में नज्म,बिरहा और मुजरा आदि का असाधरण संग्रह भी लाजवाब हैं। एक शायर के साथ-साथ डा.अन्तर्यामी मिश्र ने यादें- नयी-पुरानी में अपने आपको एक गीतकार के रुप में भी स्थापित किया है। प्रकाशित गजल संकलन में कुल 78 चुनी हुई गजलें हैं।
सच कहा जाय तो गजल-लेखन की प्रेरणा फनकार का अपना शौक है जिसकी प्ररेणा नाजनीना का सुन्दर-हसीन चेहरा,काली-काली कजरारी आंखें,सुन्दर जुल्फें,तिरछी नजरें,मोहब्बत को ही खुदा मान लेना, प्रेम के मिलन और वियोग का पल-पल अनुभव तथा इंतजार आदि हैं। डा.अन्तर्यामी मिश्र ने अपने इस संकलन में इनसबका खास ध्यान रखा है जिससे कि यादें- नयी-पुरानी(हिन्दी गजलें) को पाठक शौक से पढेगा और उनका रसास्वादन करेगा। आज की व्यस्त जिन्दगी में इसप्रकार का सफल प्रयास डा.अन्तर्यामी मिश्र की गजल के प्रति उनकी दृढ इच्छाशक्ति को स्पष्ट करता है। संकलन पठनीय तथा संग्रहणीय है।
-अशोक पाण्डेय,05मार्च,2022

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