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रामकथा कातीसरा दिवसः

धनुषयज्ञ,सीताराम विवाह जैसे आकर्षक प्रसंगों पर भावग्राही कथा सुनाईकथाव्यास पण्डित गिरिधर गोपाल शास्त्री ने

भुवनेश्वरः21जुलाईःअशोक पाण्डेयः
हरिबोल परिवारभुवनेश्वर के सौजन्य से आयोजित 09दिवसीय रामकथा के तीसरे दिवस परस्थानीय तेरापंथ भवन में कथाव्यास पण्डित गिरिधर गोपाल शास्त्री ने 21 जुलाई को अपनी कथा के क्रम में धनुषयज्ञ,सीतास्वयंवर और राम विवाह जैसे आकर्षक प्रसंगों पर भावग्राही कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि राजा दशरथ के राजदरबार में जब मुनि विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा के लिए राम-लक्ष्मण को मांगने के लिए गये तो राजा दशरथ राम के मोह में अत्यधिक भावुक हो गये और जब मुनि ने उनकी भावुकता समाप्त की तो राजा दशरथ राजी हो गये राम-लक्ष्मण को उनके संग भेजने के लिए। वास्तव में विश्वामित्र मुनि जी तो राम-लक्ष्मण की गुरुकुल की सैद्धांतिक शिक्षा का प्रयोगात्मक परीक्षा लेना चाहते थे जिसमें दोनों भाई मुनि के संग जाकर जंगल में मुनि की तपस्या में सहयोग किये तथा राक्षसों का संघार किया। वहीं मुनि ने उचित समय जानकर दोनों भाइयों को पूजा के पुष्प लाने के लिए राजा जनक की फुलवारी में भेजा जहां पर पहली ही दृष्टि में रामसीता एक-दूसरे को भा गये। गौरीपूजन के समय सीता की मनोकामना पूर्ण हुई। सीता के विवाह हेतु राजा जनक ने धनुषयज्ञ की घोषणा की। अनेक राजा उसमें भाग लेने के लिए आये । विश्वामित्र मुनि भी राम-लक्ष्मण के साथ धनुष यज्ञ में गये जहां पर राम ने शंकर जी के धनुष को उठाकर तोड दिया और सीता का विवाह श्रीराम के साथ हुआ। साथ ही साथ राजा दशरथ के अन्य तीनों पुत्रों का भी विवाह हुआ राजा जनक की पुत्रियों से संग हुआ। जनवासे में श्रीराम के तीन विशिष्ट और विलक्ष्ण गुणों जैसेः रुप,गुण और बल से प्रभावित होकर सीता के साथ-साथ जनकपुर से सभी मुग्ध हो गये।आज की कथा में जटनी,कटक और भुवनेश्वर के सैकडों रामकथा प्रेमी उपस्थित होकर कथा श्रवण किये,आरती में हिस्सा लिए और प्रसाद ग्रहण किये।
अशोक पाण्डेय

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