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रामकथा का आठवां दिवस दो सत्रों में हुआ संपन्न

पहले सत्र में कथाव्यास ने राममचरितमानस में वर्णित सुंदरकाण्ड की चर्चा की
वहीं दूसरे सत्र में दादी मां मंगलपाठ हुआ

भुवनेश्वरः26जुलाईःअशोक पाण्डेयः
भुवनेश्वर,हरिबोल परिवार द्वारा आयोजित 09 दिवसीय रामकथा केआठवें दिवस पर कथाव्यासजी ने पहले सत्रः(10.00 बजे से लेकर अपराह्नः1.00 बजे तक)में राममचरितमानस में वर्णित सुंदरकाण्ड की चर्चा की वहीं दूसरे सत्र (अपराह्नः3.00 बजे से लेकर 8.30बजे शाम तक) में कोलकाता से आमंत्रित दादी मां भजन गायक और गायिका द्वारा दादी मां मंगल पाठ हुआ।पहले सत्र का आरंभ व्यासपीठ पर गुरुपूजन और आरती से हुआ। आचार्य गिरिधर गोपाल शास्त्री जी ने बताया कि रामचरित मानस को गोस्वामी तुलसीदास जी ने सामाजिक समन्वय की एक विराट चेष्टा को साकार किया है। सुंदरकाण्ड का अति विशेष महत्त्व है।पूरा सुंदरकाण्ड हनुमान के गुण,शील पराक्रम और रामभक्ति पर आधारित है। उन्होंने बताया कि हनुमान जी सबसे सबडे बडी विशेषता यह हैकि वे बहुत शीघ्र खुश हो जाते हैं।सुंदरकाण्ड के पाठ करने से भक्त के जीवन में खुशियां आतीं हैं।जैसाकि सर्वविदित है कि हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका गये थे। वे माता सीता की खोज करने के लिए लंका अशोक वाटिका गये जहां उनकी मुलाकात सीता माता से हुई।गुरुजी ने बताया कि सुंदरकाण्ड पाठ करने से हनुमान जी के चरित्र रामकाज करके बे को आतुर की जानकारी मिलती है।साथ ही साथ हनुमान जी कितने बुद्धिमान हैं ,बलशाली हैं ,रामभक्त हैं जो सीता माता की खोज करते हैं और प्रभु श्रीराम को प्रसन्न करते हैं।सुंदरकाण्ड पाठ करने और कराने से मानसिक शक्ति प्राप्त होती है साथ ही साथ आत्मविश्वास तथा भक्त की इच्छाशक्ति बढती है।वहीं दूसरे सत्र के मुख्य आकर्षण ओडिशा प्रदेश के महामहिम राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल जी के सुपुत्र श्री मनीष सिंगला थे जो राणीसती दादी मां के अनन्यभक्त के साथ-साथ दादी मां के मशहूर भजनगायक भी हैं, उन्होंने अपनी भजनगायकी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनका सम्मान आयोजन पक्ष की ओर से श्री महेन्द्र कुमार गुप्ता ने किया। मंगलपाठ में मारवाडी महिलाओं की उपस्थिति बहुत थी। गौरतलब है कि भुवनेश्वर हरिबोल,परिवार के सौजन्य से आयोजित नवदिवसीय रामकथा 27जुलाई को रामरावण युद्ध प्रसंग तथा रामचरितमानस के जीवनोपयोगी संदेशों के साथ हवन-पूर्णाहूति तथा प्रसादसेवन आदि के साथ विराम लेगी।
अशोक पाण्डेय

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