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रामनवमी, आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस एवं तप अभिनंदन समारोह का आयोजन

भुवनेश्वर:10अप्रैल  श्रीराम का जीवन जन जन के लिए आदर्श उदाहरण
आचार्य भिक्षु सत्य शोध के राही थे मुनि जिनेश कुमार
युगप्रधान, महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा 3 के सानिध्य में उत्कल रॉयल स्थित — “कनिका” महाराजा के बंगले पर रामनवमी आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस एवं तप अभिनंदन समारोह का भव्य आयोजन कनिका महाराजा के निवेदन पर स्थानीय तेरापंथी सभा द्वारा किया गया । इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि “कनिका” महाराजा श्री शिवेंद्र नारायण भंजदेव व महारानी विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर उत्कल ग्रुप के चेयरमेन सुभाष जी भूरा, उत्कल रॉयल के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल, उपाध्यक्ष महेश जी, मंत्री नितीन जी, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष बच्छराज बेताला, तेयुप अध्यक्ष विवेक बेताला व महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती मधु गिडिया आदि अनेक गणमान्य लोग विशेष रूप से उपस्थित थे। श्री श्रीयक जैन व सुश्री धारिणी सुराणा नौ की तपस्या के साथ तपस्वी के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – रामनवमी का दिन भगवान राम से जुड़ा हुआ है। भारतवर्ष में भगवान राम का नाम बड़े ही आदर व सम्मान के साथ लिया जाता है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम व त्याग के प्रतीक पुरुष थे । उनका भातृप्रेम विशिष्ट था । उनका जीवन जन-जन के लिए आदर्श उदाहरण है। जो राम की तरफ जाता है उसको आराम मिलता है। मुनि जिनेश कुमार ने आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा -आचार्य भिक्षु तेरापंथ के आधप्रणेता थे। उन्होंने विशुद्ध साध्वाचार के पालन के लिए रामनवमी के दिन “बगड़ी “में वि. सं. 1815 में धर्मक्रांति हेतु अभिनिष्क्रमण किया। आचार्य भिक्षु का व्यक्तित्व विशिष्ट एवं कर्तृत्व महान था । उन्होंने स्वयं कष्ट झेलकर दुनिया को प्रकाश देने का प्रयास किया। उन्होंने दान-दया, पुण्य निर्जरा मिथ्यात्वी की करनी आदि विषयों पर आगमवाणी के अनुसार बुलंद उद्घोष किया। आचार्य भिक्षु ने आचार क्रांति के साथ विचार क्रांति व व्यवस्था क्रांति भी की। जिसके फलस्वरूप आज 262 वर्षों के बाद भी तेरापंथ को बुलंदियों पर पाते है । आचार्य भिक्षु सत्य शोध के राही, आचार निष्ठ, आगम निष्ठ थे उनका नाम आज चमत्कारी मंत्र बन गया है। आज उन्हें स्मरण करते हुए भावांजलि अर्पित करते हैं । इस अवसर पर तप अनुमोदना पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा -गर्मी के इस मौसम में नौ की तपस्या करना अपने आप में बड़ी बात होती है। श्रीयक जैन वे धारिणी सुराणा ने यह तपस्या कर अतुल मनोबल का परिचय दिया है। दोनों साधुवाद के पात्र है। तप से आत्मा निर्मल व पवित्र बनती है। शेषकाल में इस प्रकार की तपस्याएँ होना अपने आप में गौरव की बात है। दोनों परिवार संस्कारी व सेवाभावी है। आज कनिका महाराजा श्री शिवेन्द्र नारायण भंजदेव जी, महाराणी आदि का आगमन कार्यक्रम की गरिमा मे चार चांद लगाने जैसा है। सभा के प्रति आत्मात्मिक मंगलकामना करता हूं। कनिका महाराजा श्री शिवेन्द्र नारायण भंजदेव ने संतों के आगमन एवं दर्शन को अपना सौभाग्य बताते हुए कहा में पहली बार जैन सभा में आया हूँ । जैन धर्म में अहिंसा का बहुत बड़ा महत्व है। जीवन का सबसे बड़ा व अच्छा रास्ता अहिंसा है। उसको अपने जीवन को अच्छा बनाया जा सकता है रामनवमी के पावन अवसर पर सबको शुभंकामना । कार्यक्रम की शुरुआत बाल मुनि कुणाल कुमार जी के मंगलाचरण भिक्षु गीत से हूई। स्वागत भाषण तेरापंथी सभा के अध्यक्ष बच्छराज बेताला, तेरापंथ भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष सुभाष जी भुरा तप अभिनंदन मे संजय जैन, ललिता सुराणा ने अपने विचार व्यक्त किये ।कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद ने व आभार ज्ञापन प्रताप जी सिंगी ने किया। इस अवसर पर तपस्वियों का संस्थाओं द्वारा सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम के शुरुआत में आध्यात्मिक अनुष्ठान भी कराया गया | कार्यक्रम में अच्छी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे

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