भुवनेश्वर, 29 फरवरी 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुवनेश्वर ने 28 फरवरी 2025 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया, जिसमें भारतीय भौतिक विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी. रमन द्वारा रमन प्रभाव के आविष्कार की याद दिलाई गई, जिसका थीम था ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना’। इस अवसर पर इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज, भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. देबाशीष दाश ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और “समुद्री जैव-पूर्वेक्षण: सतत भविष्य के लिए नवाचार” विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. दाश का संबोधन समुद्री जैव-पूर्वेक्षण पर केंद्रित था, जिसमें विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने दवा की खोज, टिकाऊ कृषि और औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी के लिए समुद्री जीवों से जैव सक्रिय यौगिकों के अनुसंधान पर जोर दिया। उनके भाषण में जैव-उपचार और कार्बन पृथक्करण सहित स्थिरता के लिए समुद्री संसाधनों की प्रासंगिकता पर भी चर्चा की गई। उन्होंने भारत की ब्लू इकोनॉमी पहलों का वर्णन किया, जिसमें समुद्री जैव प्रौद्योगिकी और जैव विविधता संरक्षण के महत्व पर जोर दिया गया। उन्होंने नमूना संग्रह, माइक्रोबियल लक्षण वर्णन, मेटाबोलोमिक्स और जैव सूचना विज्ञान से जुड़े इस क्षेत्र में इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस) द्वारा किए जा रहे शोध पर भी प्रकाश डाला। आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक प्रो. श्रीपद कर्मालकर ने अपने संबोधन में वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त करने के लिए संचार और सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्थान छात्रों में इन गुणों को विकसित करने की दिशा में पहल कर रहा है। आरंभ में आईआईटी भुवनेश्वर के डीन-पोस्ट ग्रेजुएट एवं रिसर्च प्रोग्राम्स प्रोफेसर चंद्रशेखर भेंडे ने स्वागत भाषण दिया और मुख्य अतिथि का परिचय कराया। इस अवसर पर पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग ले चुके विद्यार्थियों ने पोस्टर प्रस्तुतियों के माध्यम से अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संस्थान के संकाय सदस्य, कर्मचारी, छात्र और निवासी शामिल हुए।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस आईआईटी भुवनेश्वर द्वारा आयोजित ‘समुद्री जैव-पूर्वेक्षण: सतत भविष्य के लिए नवाचार’ पर चर्चा
