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“शिराज भोज”

-अशोक पाण्डेय
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“शिराज”का व्यावहारिक अर्थ है -आत्मीय, प्रेम के साथ, अपनत्व भाव से प्रदत्त भोजन। गौरतलब है कि पिछले लगभग दस-ग्यारह वर्षों से केन्द्र की माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार की ओर से सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के वीवीआईपी गेस्ट हाउसों में आगत मेहमानों को मिलेट भोजन(बाजरे, मक्का आदि के आटे की रोटी आदि) परोसने का आदेश है। इसका व्यक्तिगत अनुभव मैंने एनडीआरएफ,3 बटालियन के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में एक रात्रि भोज के दौरान किया।वहीं पर मैंने मिशल भोज का व्यावहारिक अर्थ समझा जो हमें आज के एनडीआरएफ के एक डीआईजी जैकब साहब से प्राप्त हुई जो मुझे आजीवन याद रहेगा।
इसक्रम में एक रोचक कथा याद आती है। एक राजा की आत्मीयता एक संगीतकार से थी। जब भी राजा संगीतकार को शानदार भोजन कराता तो पूछता कि भोजन कैसा था ? संगीतकार कहता था भोजन तो उत्तम था लेकिन शिराज रहता तो और अच्छा होता। एक दिन राजा ने संगीतकार से शिराज भोज उसे कराने के लिए संगीतकार से आग्रह किया। संगीतकार राजा को अपने गांव पर ले गया और राजा को भोजन में बाजरे की रोटी और चने का साग परोसा। राजा को शिराज भोज का व्यावहारिक अर्थ समझ में आ गया। मान्यवर, आप भी इस कड़ाके की ठंड में भोजन के रूप में बाजरे की रोटी और चने का मौसमी साग अवश्य ग्रहण करें!
-अशोक पाण्डेय

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