-विश्लेषक: अशोक पाण्डेय
एक तरफ जहां पर भगवान शिव शंकर देवी श्रीसतीजी को बतलाते हैं कि उनको प्रसन्न करने के लिए विद्वानों ने कुल:9 अंग: श्रवण, कीर्तन, स्मरण,सेवन,दास्य, अर्चन, सदा शिव का वंदन,सख्य और आत्मसमर्पण माना है। ये सभी अंग भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले हैं । इनसे ज्ञान प्रकट हो जाता है और ये सभी साधनाएं भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। वहीं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने माता शबरी को नौ प्रकार की भक्ति की प्रथम जानकारी दी थी। मेरा यह मानना है कि श्रीहरि के नाम का स्मरण ही सच्ची भक्ति है वह भी अपने-अपने कर्तव्य निभाने के साथ साथ।
-अशोक पाण्डेय