श्रीपुरी धाम का गुण्डीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की जन्मस्थली है।इसे गुण्डीचा घर,ब्रह्मलोक,सुंदराचल तथा जनकपुरी के नाम से भी जाना जाता हैं।गुण्डीचा मंदिर का निर्माण मालवा नरेश इन्द्रद्युम्न ने अपनी महारानी गुण्डीचा के नाम पर करवाया था। गुण्डीचा मंदिर की रत्नवेदी चार फीट ऊंची तथा 19फीट लंबी है। मंदिर के आसपास का क्षेत्र श्रद्धाबाली कहलाता है जहां की बालुकाराशि के कण-कण में श्रद्धा का निवास है। पहली बार यहीं पर राजा इन्द्रद्युम्न ने एक हजार अश्वमेध यज्ञ किया था। गुण्डीचा मंदिर का निर्माण हल्के भूरे रंग के सुंदर कलेवर में किया गया है। लगभग 5 एकड में फैले इस मंदिर के चारों तरफ अतिमोहक बाग-बगीचे हैं जो मंदिर की छटा को और अधिक आकर्षक बना देते हैं।इस मंदिर का भी निर्माण जगन्नाथ पुरी के मुख्य जगन्नाथ मंदिर(श्रीमंदिर) की तरह ही किया गया है।मंदिर के कुल चार परकोटे हैं-विमान, जगमोहन, नाट्यमण्डप और भोगमण्डप।गुण्डीचा मंदिर का पिछला हिस्सा विमान कहलाता है। उसके अंदर का भाग है जगमोहन।उसके बाद नाट्यमण्डप और उसके बाद है–भोगमण्डप। गुण्डीचा मंदिर भी जगन्नाथ मंदिर पुरी की तरह ही उत्कलीय स्थापत्य एवं मूर्तिकला का बेजोड उदाहरण है। भगवान जगन्नाथ प्रतिवर्ष अपनी विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के दौरान यहीं गुण्डीचा मंदिर में सात दिनों तक विश्राम करते हैं।प्रतिवर्ष रथयात्रा के दौरान सात दिनों के प्रवास के क्रम में चतुर्धा देवविग्रहों को मंदिर के रत्नवेदी पर आरुढ कराकर उनकी नित्य पूजा-अर्चना की जाती है जिसे गुण्डीचा महोत्सव कहा जाता है।2025 की गुण्डीचा यात्रा(रथयात्रा) 27 जून को है।
– अशोक पाण्डेय
श्रीपुरी धाम का गुण्डीचा मंदिर
