-अशोक पाण्डेय
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तीर्थ,धाम और क्षेत्र तीनों है श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र। यहां के महोदधि में पवित्र स्नान “मोक्ष स्नान” भी कहलाता है। भगवान जगन्नाथ जो पुरुषोत्तम हैं उनकी लीला भी अपरंपार है। सबसे पहले वे इसी नीलाचल पर्वत पर नीलमाधव के रूप में शबरकुल श्रेष्ठ विश्ववसु को प्रथम पूजा-अर्चना का हक प्रदान किये वहीं आदि शंकराचार्य को भी । वे समय-समय पर शबर- ब्राह्मण महामिलन भी कराते हैं।वे अपनी विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के दौरान प्रत्यक्ष रूप में कराते हैं। सच तो यह है कि महाप्रभु जगन्नाथ सभी के लिए महामिलन हैं। जो भक्त श्रीमंदिर में उनके दर्शन करता है उसको वे उस भक्त के अपने ही इष्टदेव के रूप में दर्शन देते हैं। जैसे तुलसीदास जी ने पुरुषोत्तम श्री जगन्नाथ जी के दर्शन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में किया।
-अशोक पाण्डेय