“जब-जब धरती पर पाप बढता है तो नारायण विभिन्न अवतार लेकर ब्राह्मण,गाय,देवता और संतों की रक्षा करते हैं।“ –कथाव्यास संत श्री सुखदेवजी महाराज
भुवनेश्वरः26मार्चःअशोक पाण्डेयः
स्थानीय लक्ष्मीसागर,प्लाट नं.334 में आयोजक भुवनेश्वर केडिया परिवार की ओर से 23मार्च से प्रतिदिन अपराह्नः3.00 बजे से सायंकालः6.00 बजे तक श्रीमद् भागवत कथा चल रही है। राजस्थान बिकानेर जिले से पधारे कथाव्यास संत श्री सुखदेवजी महाराज ने व्यासपीठ से 23मार्च से 26मार्च तक भागवत के विभिन्न प्रसंगों के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा बडी ही सरल भाषा तथा सुंदर प्रस्तुति के साथ सुनाई। व्यासपीठ पर उनका स्वागत भुवनेश्वर स्वर्गीय जगदीश केडिया की पत्नी श्रीमती बिमला केडिया तथा उनके परिवार ने सदस्यों ने किया। 26मार्च की कथा में श्रीकृष्ण के अवतार के रुप में –नन्द को आनन्द भयो… की झांकी से साथ स्पष्ट की। कथाव्यास ने बताया कि कुल 9 प्रकार की भक्ति के यथार्थ आदर्श हैःराजा परीक्षित-श्रवण भाव की भक्ति के आदर्श।शुकदेवजी कीर्तन भाव की भक्ति के आदर्श।प्रह्लादजी स्मरण भाव की भक्ति के आदर्श ।श्री लक्ष्मीजी -पादसेवन भाव की भक्ति की आदर्श।पृथुजी अर्चनभाव की भक्ति के आदर्श।अक्रुरजी वंदन भाव की भक्ति के आदर्श।हनुमानजी दास्य भाव की भक्ति के आदर्श।अर्जुन-सखा भाव की भक्ति के आदर्श और राजा बलि -आत्मनिवेदन भाव की भक्ति के आदर्श हैं। व्सासजी ने यह भी बताया कि वेद का अर्थ ज्ञान है। हमारे चारों वेदों के कुल:20,307ज्ञान -मंत्र परमपिता परमेश्वर की विस्तृत जानकारी के मूल मंत्र हैं जिसके माध्यम से मानव कल्याण होता है।उन्होंने स्पष्ट किया कि सदाचारी जीवन ही सच्चे भक्त की वास्तविक पहचान होती है।ठीक इसीप्रकार कथाव्सास को ही सरल तथा सादगीमय होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे कथा के प्रचार में विश्वास नहीं करते हैं। सच्चे गोभक्त कथाव्यास जिनकी बिकानेर में वृद्ध गोशाला है जिसमें हजारों अपंग गायें हैं जिनकी सेवा में वे परमसुख की प्राप्ति करते है। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण का अवतार सृष्टि को प्रेम का संदेश देने के लिए हुआ। इसलिए श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की झांकी का आज जी भरकर आनन्द लें। व्यासजी ने आज की कथा को विराम देने से पूर्व उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्तों से यह निवेदन किया कि 27मार्च को नन्दोत्सव,28मार्च को रुक्मिणी विवाह तथा 29मार्च को सुदामा चरित की कथा का श्रवण वे अवश्य करें। उन्होंने बताया कि उनको श्री जगन्नाथ धाम और ओडिशा बहुत पसंद है क्योंकि श्री जगन्नाथजी कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्म हैं जिनके दर्शन मात्र से विश्व मानवता को शांत,मैत्री,एकता तथा भाईचारे का पावन संदेश मिलता है। उन्होंने बताया कि एक भक्त को अवश्य महात्वाकांक्षी होना चाहिए,अपनी भक्ति के प्रति,अपनी सेवा के प्रति तथा श्रीभागवत कथा श्रवण के प्रति।भक्त-जीवन में ददलाव का जवाब देते हुए उन्होंने आज के परिपेक्ष्य में जीवन में बदलाव को स्वाभाविक बताया जिसका निदान श्रीमद् भागवत में है।
अशोक पाण्डेय
श्रीमद् भागवत कथा का चौथा दिवस श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की मनभानवी झांकी के साथ आरंभ हुई आज की कथा
