विश्लेषक: अशोक पाण्डेय
अपने छात्र जीवन में मैंने सात बार शुरू से अंत तक श्री रामचरितमानस पढ़ा है। अपने एम. एड. कक्षा में विशेष पत्र के रूप में “श्रीरामचरितमानस में बाल शिक्षा ” रखा था।अब अपनी ढलती उम्र के 72 वें साल में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम पर ही विशेष रूप से हर दिन चिंतन -मनन और लेखन कार्य कर रहा हूं। मेरे व्यक्तिगत विश्लेषण के अनुसार श्रीराम आज भारतीय जनमन के चिरंतन लोकनायक हैं। वे हमारी सनातनी संस्कृति के भाव पुरुष हैं।वे हमारी भारतीय अस्मिता के प्रतीक हैं। वे सच्चिदानंद रुपी सूर्य हैं। वे मोह -माया रूपी रात्रि को काटनेवाले दिनेश हैं।वे लोकरक्षक, लोकरंजक युगपुरुष हैं।वे सनातनी शाश्वत जीवन मूल्यों के यथार्थ आदर्श हैं।कुल मिलाकर श्रीराम कल भी करुणा सागर थे,आज भी करुणा निधि हैं और आनेवाला कल के लिए भी वे करुणा निधान हैं।वे मां दुर्गा के अनन्य उपासक थे। इसलिए आइए, नवरात्र के आज के दिन मां स्कंदमाता को चरणस्पर्श करते हुए “जय श्री राम!” का जयकारा लगाएं।
-अशोक पाण्डेय
