आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने हेतु चल रही है सघन चर्चा-परिचर्चा
भुवनेश्वर,08फरवरी,अशोक पाण्डेय
संस्कृत भारती,नई दिल्ली की अखिल भारतीय दो दिवसीय योजना संगोष्ठी भुवनेश्वर में आज स्थानीय मां घर वातानुकूलित सभागार,गैरेज चौक के समीप ठीक 8.45 बचे आरंभहो गई।कार्यक्रम का शुभारंभ परम्परागत दीपप्रज्ज्वलन के साथ हुआ।मंचस्थ संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष: गोपबंधु मिश्रा तथा राष्ट्रीय सचिव: सत्यनारायण भट्ट का स्वागत भारतीय परिपाटी के तहत आयोजक दिलीप खण्डेलवाल ने अंगवस्त्र और शॉल आदि भेंटकर किया।उल्लेखनीय है कि 8-9 फरवरी तक चलने वाली संगोष्ठी में विगत वर्ष की योजना को सफल बनाने तथा आगामी वर्ष की योजना पर चर्चा हो रही है।1980 में संस्कृत भारती संस्था की स्थापना देवभाषा संस्कृत के अधिकाधिक प्रयोग को सतत बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई दिल्ली में की गई जिसके अंतर्गत आज देश-विदेश के आठ क्षेत्र हैं तथा भारत के कुल 40 प्रांतों के सदस्यगण हैं। आज की संगोष्ठी में सभी प्रांतीय अध्यक्ष,सचिव,उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव आदि शामिल हैं।आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने हेतु संगोष्ठी में सघन चर्चा-परिचर्चा चल रही है। सबसे अच्छा यह देखकर लगा कि सभी आगत प्रतिनिधि आपस में संस्कृत में ही बातचीत कर रहे थे। आज के आयोजित अलग-अलग सत्रों में सभी वक्ताओं ने संस्कृत में ही अपना प्रवचन एवं उद्गार व्यक्त किया। नई दिल्ली से आगत प्रतिभागी वागीश ने बताया कि गत वर्ष भी यह आयोजन ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर के मां घर में आयोजक दिलीप खण्डेलवाल के सौजन्य से सफलतापूर्वक हुआ था। उनके अनुसार इस वर्ष लगभग 200 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।अवसर पर पधारे ओड़िशा प्रांत के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक जो पूर्वी भारत के भी मुख्य प्रचारक हैं ने बताया कि आयोजन निश्चित रुप से विकसित भारत के निर्माण में मील का पत्थर सिद्ध हो रहा है। यह संगोष्ठी आगामी 9 फरवरी को अपनी भावी योजनाओं को तैयारकर संपन्न होगी।
अशोक पाण्डेय