-अशोक पाण्डेय
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एक छोटी पहाड़ी थी। वहां पर शिवजी का एक मंदिर था। उस मंदिर के जो भी पुजारी होते थे वे बहुत जल्द करोड़पति बन जाते थे। मंदिर की आमदनी चढ़ावा प्रतिदिन करोड़ों में थी। उस इलाके के प्रमुख ने एक दिन यह घोषणा की कि जो भी कठिनाइयां पर कर मंदिर तक पहुंचेगा और मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करेगा,उसी का चयन मंदिर के नये पुजारी के रूप में सिर्फ एक साल के लिए होगा। प्रमुख ने मंदिर के रास्ते में कांटे बिछवा दिया। कांटों के चलते डरकर बहुत कम लोग आये और जो आये भी तो लहूलुहान होकर आये। अंत में, एक सच्चा अनपढ़ पुजारी आया जो बिल्कुल लहूलुहान नहीं था। प्रमुख ने उस व्यक्ति से पूछा कि उसके आने में कांटों के चलते कोई परेशानी क्यों न हुई? उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि वह जब चला तो रास्ते के कांटों को हटाते हुए आया क्योंकि जो भी वहां पर आये उसे कोई परेशानी न हो। प्रमुख ने कहा कि आपको तो मंत्रोच्चार करने नहीं आता है तो आप प्रतिदिन शिवजी की पूजा कैसे करेंगे? व्यक्ति ने जवाब दिया कि वह तो मात्र शिवजी के उस दुर्लभ दर्शन करने के लिए आया है। साथ ही साथ परमार्थ के लिए। प्रमुख ने उसी व्यक्ति को मंदिर का अगला पुजारी हमेशा के लिए नियुक्त कर दिया।
मान्यवर,आप भी परमार्थी बनें!
-अशोक पाण्डेय
