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इस अनेकांत सिद्धांत को भगवान महावीर ने मानवता की रक्षा के लिए बनाया था.
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इस सिद्धांत के अनुसार :
आप अपनी बात प्रेम से कहते हैं.
बेझिझक कहते हैं.
आप अपनी बात दुराग्रह त्यागकर करते हैं.
आप दूसरों की बातों को सच्चाई से स्वीकार करते हैं.
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जय जगन्नाथ!









