चिंतन: अशोक पाण्डेय…
आज 07 अक्टूबर है। आज नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरुप कुष्माण्डा की पूजा हो रही है और आज के दिन ही मैं आप समस्त महानुभावों के लिए यह संदेश दे रहा हूं कि आपको आज जो भी सत्कर्म आपने पहले से निश्चित करके बैठे हैं,उसे हर कीमत पर आज ही पूरा करें! आपके जीवन का आज का दिन और आज के दिन का प्रत्येक क्षण बहुमूल्य है। आप तो जानते हैं कि हमारा मानव जीवन प्रति क्षण क्षीणता की ओर अग्रसर है और कल किसने देखा है? अगर विवेक की बात करें तो आपके आज के दिन का प्रत्येक क्षण श्री श्री जगन्नाथ भगवान का आपके लिए उनका एक वरदान है। निर्गुण ब्रह्म के उपासक कबीरदास जी भी अपनी एक साखी में कहते हैं कि काल करे सो आज कर,आज करे सो अब,पल में परलय होएगा,बहुरी करेगा कब? दूसरा प्रसंग देखें। एक बार धर्मराज युधिष्ठिर के पास कोई याचक दान मांगने आया और उन्होंने अपनी व्यस्तता के चलते उसे अगले दिन आने को कहा। यह सुनकर भीमसेनजी विजय दुंदुभी बजाने लगे। जब उनसे पूछा गया कि वे विजय दुंदुभी क्यों बजा रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि उनके बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर जी आनेवाला कल पर विजय प्राप्त कर लिए हैं। धर्मराज युधिष्ठिर समझ गये और उस याचक को बुलाकर तत्काल दान दे दिए। मान्यवर,आप भी आज के सत्कर्म को आज ही करें उसे कभी भी और भूलकर भी आनेवाले कल पर न टालें!
-अशोक पाण्डेय
