-अवधारणाः अशोक पाण्डेय
इस मोह-माया के संसार में तीन प्रकार के लोग हैं-एक वे जो सिर्फ और सिर्फ अपने लिए जीवन धारण किए हुए हैं। दूसरे वे जो अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों को लिए जीवन धारण किए हुए हैं और तीसरे वे जो अपने हित के साथ-साथ सभी के हित के लिए जीवन धारण किए हुए है।महान् शिक्षाविद् संस्थापकःकीट-कीस तथा पूर्व सांसद लोकसभा,कंधमाल आजीवन सत्कर्म मार्ग के पथिक हैं जो दूसरों के कल्याणार्थ ही मानव शरीर धारण किये हुए हैं। वे हंसमुख,सहृयस,मृदुभाषी,अति सरल और सहज स्वभाव के एक मिलनसार व्यक्ति हैं। उनका जीवन एक खुली किताब है जिसे कोई भी पढ़ सकता है। उनके व्यक्तिगत जीवन रुपी किताब का प्रत्येक पन्ना करुणा,दया,सहयोग,सहानुभूति और ऑर्ट ऑफ गिविंग का संदेश देता है। उनके मन में गरीबों और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए अपनापन है,करुणा है,संवेदना है,समर्पण है और त्याग है। निःस्वार्थ मानव सेवा करने के लिए और उसके लिए हमेशा अवसर ढ़ूढना-उनकी सहज मनोवृत्ति है। वे एक सहृदय व्यक्ति हैं।ऐसा विलक्षण व्यक्तित्व न भूतो न भविष्यत। वे रुके बिना और थके बिना मानवसेवा,समाजसेवा और लोकसेवा करते रहते हैं। उनका जीवन सेवा-भावना का यथार्थ आदर्श है।वे आदिवासी समुदाय के समस्त विकास से वंचित गरीबों,साधनहीनों और उपेक्षित बच्चों को अपनी ओर से (अपनी विश्वविख्यात संस्था कीस के माध्यम से) निःशुल्क समस्त आवासीय सुविधाओं के साथ-साथ उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कराते हैं तथा आदिवासी बच्चों का सर्वांगीण विकास कर उन्हें देश का चरित्रवान,जिम्मेवार,कर्तव्यपरायण तथा ईमानदार नागरिक बनाते हैं। इसीलिए उनकी विश्वविख्यात संस्था कीस आज सच्चरित्र और देशहित के लिए जिम्मेदार मानव निर्माण करनेवाली एकमात्र शैक्षिक संस्था बन चुकी है जिसे लोग मानव गढ़नेवाली विश्व की एकमात्र शैक्षिक संस्था कहते हैं। लगभग 60 वर्षों का प्रो.अच्युत सामंत का विदेह जीवन सत्य,अहिंसा,त्याग और तपस्या की अमर गाथा बन चुका है। आदिवासी लोगों और गरीबों के लिए तो वे दानवीर कर्ण हैं।उनके जीवन के वे सच्चे पथप्रदर्शक हैं। लोग उन्हें अजातशत्रु कहकर पुकारते हैं। वे निष्काम भाव से नर सेवा को नारायण सेवा मानकर 18-18 घण्टे काम करते हैं।वे दीन-हीनों,झुग्गी-झोपड़ी में रहनेवाले गरीब लोगों,निरीह लोगों के साक्षात दिव्य पुरुष थे,आलोकपुरुष हैं।वे एक संवेदनशील व्यक्ति हैं। वे लोगों पर विश्वास करते हैं इसीलिए दूसरों से वे हमेशा विश्वास भी पाते हैं।उनके व्यक्तिगत विलक्षण गुणों में से एक गुण है- आदर्श महात्मा के गुण क्योंकि वे गरीबों की भलाई के लिए जो सोचते हैं,वहीं अपने कर्म में उतारकर दरिद्रनारायण सेवा मानकर उनकी सेवा तन,मन और धन से करते हैं। उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं हैं। उनका त्यागी और मनस्वी व्यक्तित्व आदर्श,अनुकरणीय और वंदनीय है।वे अपने अच्छे कार्यों की छाप दूसरों पर अमिट रुप से छोड़ देते हैं। वे अपनी सेवा-धुन के भी पक्के हैं। अगर कोई उनको कटु शब्द भी कहता है तो उसे वे चुपचाप हंसते-हंसते भगवान शंकर की तरह ग्रहण कर लेते हैं। वे संत,महात्माओं,आचार्यों,ब्राह्मणों तथा विद्वानों का हमेशा आदर करते हैं।उनका यह मानना है कि सच कह देना ही सत्य नहीं है और झूठ कह देना ही झूठ नहीं है । जिससे लोगों का सबसे अधिक हित हो वह वाणी सत्य है और जिस वाणी से सबसे अधिक दुख और कष्ट पहुंचे वह झूठ है। वे धर्ममार्ग के पथिक है जो सत्कर्म मार्ग के पथिक बनकर जनसेवा, लोकसेवा, मानवसेवा, गुरुसेवा,जगन्नाथ सेवा तथा हनुमान सेवा करते रहते हैं।आनेवाली पीढ़ियां वर्षों तक उनको अपना आदर्श मानकर उनके पदचिह्नों पर चलती रहेगी क्योंकि वे आजीवन सत्कर्म मार्ग के पथिक हैं।
उनकी असाधारण शैक्षिक पहल कीट-कीस तथा खेल आदि विकास से संबंधित अनेकानेक अन्यान्य निःस्वार्थ सेवाओं को ध्यान में रखकर हाल ही में उनके विद्यार्थी जीवन के बैचमेट ने अपनी दोस्ती के 44 वर्ष पूरे होने पर एक गेटटूगेदर कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें उनको विश्वरत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।
-अशोक पाण्डेय
सत्कर्म मार्ग के पथिक महान् शिक्षाविद् प्रो. अच्युत सामंत को उनके बैचमेट ने उन्हें विश्व रत्न सम्मान से सम्मानित किया
