-अशोक पाण्डेय
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प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अपना -अपना कुछ न कुछ खट्टा -मीठा अनुभव होता ही है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि सत्य के मार्ग पर चलने वालों को दुख अधिक होता है। भगवान उस व्यक्ति की बार -बार परीक्षा लेते हैं। द्वापर युग के सुदामा की कहानी तो आप सभी ने सुनी होगी। वास्तव में सुदामा का पूरा नाम सुदामा पाण्डेय था। वे द्वारकाधीश श्रीकृष्ण के बाल सखा थे। वे प्रत्येक क्षण श्रीकृष्ण का नाम लेते रहते थे। उनके व्यक्तिगत जीवन में, पारिवारिक जीवन में काफी दुख था।हां,यह बात भी सत्य है कि द्वारकाधीश श्रीकृष्ण ने सुदामा को वह चारों ऐश्वर्य दे दिया जिसके विषय वे कभी सोचे भी नहीं थे। मैंने भी अपने जीवन में कभी नहीं महसूस किया कि सुख क्या होता है फिर भी सत्य -पथ पर चलते रहता हूं। विश्वास कीजिए कभी -कभी बिना खाए ही मैं रात में रह जाता हूं जबकि मैं पिछले लगभग चालीस सालों से भामाशाहों के साथ रहता हूं। मित्र, सत्य का मार्ग कठिन जरूर है लेकिन बड़ा आनंददायक है।
-अशोक पाण्डेय