-अशोक पाण्डेय
04 नवंबर,24
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सुख दो प्रकार के हैं। एक सुख अस्थाई होता है, क्षणिक होता है। जैसे: किसी ने आपकी तारीफ़ कर दी। आप किसी खेल में जीत गए। चलते हुए रास्ते में कुछ गिरा हुआ पैसा या सोना आदि पा लिए। कहीं आपको ट्रेन से जाना हो , टिकट नहीं मिल रहा हो, अचानक मिल जाए।और बहुत से ऐसे उदाहरण हैं। दूसरा सुख स्थाई सुख होता है। जैसे: आपके पास धन -वैभव, ऐश्वर्य आदि हो। आपका परिवार आनंद के साथ रहता हो। आपकी पत्नी का आपसे अच्छा संबंध हो। आपकी संतान संस्कारी और मेधावी हो। और भी ऐसे कई उदाहरण हैं। यह सुख प्राप्त होता है धन के सतत आने से, स्वस्थ और निरोगी शरीर के होने से, सदा प्रिय और सत्य बोलने से, सत्संग करने से, सकारात्मक सोच से, परोपकार से, व्यक्ति हित, परिवार हित, समाज हित,लोक हित, धर्म हित और राष्ट्र हित करने से। व्यावहारिक और चरित्रवान आदि बनने से। अच्छे दोस्त बनाने से। गौरतलब है कि जीवन में स्थाई सुख क्षणिक होता है फिर भी आप आत्मविश्वासी, सत्यनिष्ठ और आत्मसंतोषी बनकर जीवन के सुख का उपभोग कर सकते हैं। हमारा सनातन धर्म भी सुख के लिए संतोष का संदेश देता है।
-अशोक पाण्डेय
