-अशोक पाण्डेय
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आजकल बड़ी विचित्र स्थिति 21वीं सदी में देखने को मिल रही है । आज सभी अपने आप ही ज्ञानी,गुणी और सर्वज्ञ बनकर सोसल मीडिया की छवि को मलीन कर रहे हैं। चिंतन का विषय और आत्मावलोकन का विषय तो यह होना चाहिए कि क्या आप कबीरदास जी हैं? क्या आप गोस्वामी तुलसीदास जी हैं? क्या आप सप्त ऋषि हैं? क्या आप मुनि वसिष्ठ हैं? क्या आप मुनि विश्वामित्र हैं? क्या आप श्रीराम हैं या क्या आप श्रीकृष्ण हैं जो अपने -अपने गुरु के आश्रम में जाकर गुरु- शिष्य के तादात्म्य संबंध को अर्जित कर लिए हैं? मान्यवर, जीवन में कुछ बनना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने ज्ञान,गुण और सर्वज्ञ की जानकारी न दें। धीरज के साथ आजीवन सिखने और उन सीखों को जीवन में उतारने का सफल प्रयास करें! भारतवर्ष, भारतीयता और समस्त शाश्वत मूल्यों की स्वत: रक्षा हो जाएगी नहीं तो दुनिया कहेगी कि पढ़े फारसी बेचे तेल,देखो यह कुदरत का खेल।
अशोक पाण्डेय का आज यह मात्र अनुचिंतन है।