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“स्वयं के मूल्यांकन करने की आदत अपने अंतर्मन से डालें!”

-अशोक पाण्डेय

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आजतक आपने अपना मूल्यांकन स्वयं न करके दूसरों के द्वारा ही किया है। ‘आप क्या हैं?’- इसको जानने और समझने के लिए एक तरफ हमारे सद्गुरु, सद्ग्रंथ और सत्संग बताते हैं तो वहीं हमारा अन्तर्मन भी बताता है। अपने आपको वास्तविक के ठोस धरातल पर खड़े करके और अन्तर्मन की पुकार सुनकर अगर आप स्वयं का मूल्यांकन करेंगे तो आपके व्यक्तिगत जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहेगी क्योंकि आपका अन्तर्मन कभी भी कोई ग़लत काम करने की इजाजत नहीं देगा। पापी पेट के चलते इस दुनिया में अनेक गलत कार्य हो रहे हैं । इससे बचने का एक ही कारगर उपाय है : अपनी अन्तर्रात्मा की पुकार के अनुसार, अपने अंतर्मन के निर्देश पर सत्कर्म करें!
-अशोक पाण्डेय

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