-अशोक पाण्डेय
——————–
स्वार्थ का सीधा संबंध लोभ या लालच से है। संसार के जितने भी जीवधारी हैं वे सभी स्वार्थी होते हैं। माया सबसे अधिक स्वार्थी होती है। आज के व्यक्ति -व्यक्ति का संबंध, सभी रिश्ते-नाते स्वार्थ पर ही आधारित हैं।सच कहा जाय तो आज की पूरी दुनिया स्वार्थ का ही गंदा खेल खेलती है।आज का प्रेम, आत्मीयता,आपसी संबंध बस स्वार्थ पर ही आधारित है। ऐसे में समाज कल्याण, राष्ट्र कल्याण और विश्व कल्याण के लिए नि: स्वार्थी की आवश्यकता है और इन दोनों के लिए अर्थात् स्वार्थ से ऊपर उठने के लिए और नि: स्वार्थी बनने के लिए सद्गुरु की आवश्यकता है।
-अशोक पाण्डेय