-अशोक पाण्डेय
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यह संसार कर्म-क्षेत्र है, कर्मस्थली है। भगवान जगन्नाथ ने हमसभी को यहां पर इसलिए भेजा है कि हमसब उनकी भक्ति करें! सत्कर्म करें!और नि: स्वार्थ भाव से मानव सेवा करें! लेकिन याद रखें कि आपके कर्मफल तीन प्रकार होते हैं: मनोनुकूल फल, अनिष्ट फल और न मन के अनुकूल न ही अनिष्ट अपितु प्रारब्ध फल।
-अशोक पाण्डेय