Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं ओड़िशा केंद्रीय विश्वविद्यालय कोरापुट के संयुक्त तत्वावधान में 75 वां राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न

हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग एवं ओड़िशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापुट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 75 वें अधिवेशन का समापन समारोह दिनांक 25 जून 2024 को संपन्न हुआ। पूर्वाह्न 10:30 बजे समाजशास्त्र परिषद के परिसंवाद का विषय ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति भविष्य का समाज’ था । इसमें प्रो. भरत कुमार पंडा ने सभापति के रूप में अपना व्याख्यान दिया ।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान-संपदा संरक्षण, मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा ,शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा समावेशी शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। इस परिसंवाद में विशिष्ट वक्ता डॉ सुशील कुमार उपाध्याय के साथ-साथ श्री मोहन कृष्ण भारद्वाज , डॉ मनोहर मयूर जमुना देवी एवं डॉ दीप्ति बोकन ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। अपराह्न 1:00 बजे के बाद खुला अधिवेशन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ जिसके अंतर्गत राष्ट्रभाषा हिंदी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु ‘साहित्य वाचस्पति’ एवं ‘सम्मेलन सम्मान’ प्रदान किया गया। सबसे पहले प्रोफेसर हेमराज मीणा ने सम्मेलन सम्मान पाने वाले विद्वानों का परिचय देते हुए उन्हें मंच पर आमंत्रित किया। श्री मनमोहन गोयल ,श्री सुशील कुमार पात्र, डॉ. भगवान त्रिपाठी,श्री चरण सिंह मीणा, डॉ. चक्रधर प्रधान ,डॉ. मनोज कुमार सिंह, प्रो. हेमराज मीणा, डॉ. मनोहर मयूर जमुना देवी, प्रो. रामकुमार मिश्र ,डॉ. माली पटेल श्रीनिवास राव ,प्रो. विभाष चंद्र झा ,डॉ. अखिलेश निगम अखिल, डॉ. लोकेश्वर प्रसाद सिन्हा आदि को ‘सम्मेलन सम्मान’ से सम्मानित किया गया। इसके बाद श्री शेषमणि पांडे ने हिंदी साहित्य सम्मेलन के सर्वोच्च सम्मान ‘साहित्य वाचस्पति’ सम्मान के लिए डॉ अजय कुमार पटनायक एवं प्रोफेसर चक्रधर त्रिपाठी का नाम घोषित किया। उन्होंने इन दोनों विद्वानों का विस्तृत परिचय देते हुए उन्हें सम्मान प्रदान करने के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री श्री कुंतक मिश्र को अनुरोध किया। डॉ अजय कुमार पटनायक ने इस अवसर पर हिंदी साहित्य सम्मेलन के ‘साहित्य वाचस्पति सम्मान’ के राष्ट्रीय महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने छात्र जीवन को याद किया। उन्होंने कहा कि गंजाम से इलाहाबाद तक पहुंचना उनके समय में आसान नहीं था; किंतु हिंदी पढ़ने के लिए उनमें एक जुनून पैदा हुआ था जिसके कारण सारी कठिनाइयों को पार करते हुए उन्होंने उच्च शिक्षा में हिंदी का अध्ययन किया और हिंदी सेवा में अपने आप को नियोजित किया। इस अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए ओड़िशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चक्रधर त्रिपाठी ने अपने ओजपूर्ण संबोधन से पूरे सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदी का काम देश को जोड़ कर रखना है ।हिंदी प्रदेश के लोग संयोजक का काम करें तथा भारतवर्ष की अन्य भाषा और संस्कृति को अपनाकर स्वयं को समृद्ध करें। ‘ आज नहीं तो कभी नहीं’ इसी मंत्र को सभी हिंदी प्रेमियों को आत्मसात् करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में हिंदी साहित्य सम्मेलन के साहित्य मंत्री प्रो. रामकिशोर शर्मा ने भारतवर्ष के कोने-कोने से आए हिंदी प्रेमियों को तथा ओड़िशा केंद्रीय विश्वविद्यालय से मिलने वाले आंतरिक सहयोग, प्रेम पूर्ण व्यवहार,और आतिथ्य का उल्लेख करते हुए कुलपति,कुलसचिव, वित्त अधिकारी,सुरक्षा अधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी समेत सभी को विशेष धन्यवाद दिया । समारोह के अंत में अपने तन -मन राष्ट्र को समर्पित करते हुए सभी ने राष्ट्रगान किया।

    Leave Your Comment

    Your email address will not be published.*

    Forgot Password