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हिन्दी दिवस,हिन्दी सप्ताह,हिन्दी पखवाडा तथा हिन्दी माह मनाने का औचित्य

-अशोक पाण्डेय
भारत तथा विदेशों में आज हिन्दी दिवस,हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाडा तथा हिन्दी माह मनाने का औचित्य इसलिए है कि हिन्दी जनसम्पर्क की सबसे सशक्त तथा सबसे लोकप्रिय भाषा है।गौरतलब है कि 1918 में महात्मागांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राजभाषा बनाने की बात कही थी क्योंकि उनके अनुसार हिन्दी भारतीय जनमानस की भाषा है।इसीलिए जब भारत का लिखित संविधान तैयार हुआ तथा उसे 26 नवंबर,1949 को स्वीकार किया गया तो संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343(1) में भारतीय संघ की राजभाषा के रुप में हिन्दी को स्वीकार कर लिया गया जिसकी लिपि देवनागरी है जबकि अंकों को अंग्रेजी रुप में मान्यता प्रदान की गई।14 सितंबर,1949 को संविधानसभा ने यह भी निर्णय लिया कि हिन्दी एक तरफ जहां भारतीय संघ की राजभाषा होगी वहीं केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा हिन्दी ही होगी।हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए इसे 14 सितंबर,1953 को पूरे भारत में हिन्दी दिवस के रुप में सबसे पहले मनाया गया। हिन्दी साहित्यकारों में काका कालेलकर,हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा सेठ गोविंद दास आदि ने इसका पूर्ण समर्थन किया। हिन्दी भाषा प्रेम की भाषा है।इसे भारत के लगभग 77 प्रतिशत लोग समझते और बोलते हैं।यह भारत की गौरव और गरिमा की पहचान है।इस भाषा में जैसा बोला जाता है वैसा ही लिखा जाता है।यह भारत के अनेक प्रदेशों की मातृभाषा तथा राजभाषा है।भारत के लगभग 77 फीसदी लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। पूरे विश्व में बोली जानेवाली तीन प्रमुख भाषाओं में अंग्रेजी भाषा तथा चीनी भाषा के बाद हिंदी तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी की शब्दसम्पदा सबसे अधिक समृद्ध है। हिन्दी में चार प्रकार के शब्द हैं-तत्सम,तत्भव,देशज तथा विदेशी शब्द।यह भी सत्य है कि जब तक हिन्दी का प्रयोग पूर्ण रूप से नहीं किया जाएगा तबतक हिन्दी भाषा का पूर्ण विकास असंभव है। भारत सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, अनुभागों, राष्ट्रीयकृत बैंकों,केन्द्रीय विद्यालयों,नवोदय विद्यालयों तथा सैनिक स्कूलों आदि में जबतक हिन्दी को वैकल्पिक विषय की जगह अनिवार्य विषय नहीं बनाया जाएगा तबतक हिन्दी का पूर्ण विकास संभव नहीं होगा। साथ ही साथ दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के प्रसारित होनेवाले कार्यक्रमों में हिन्दी को बढावा जबतक नहीं दिया जाएगा तबतक हिन्दी की स्थिति भारत में मात्र एक रुपवती भिखारिन की ही रहेगी।हिन्दी सप्ताह 14 सितम्बर से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है जबकि हिन्दी पखवाडा 14 सितंबर से 30 सितंबर तक 15 दिनों के लिए मनाया जाता है जबकि हिन्दी माह पहली सितंबर से 30 सितंबर तक मनाया जाता है।इस दौरान हिन्दी भाषा कौशलःसुनने,बोलने,पढने और लिखने से संबंधित अलग अलग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन विद्यालयों तथा कार्यालयों दोनों में किया जाता है।गौरतलब है कि हिन्दी के प्रति लोगों को उत्साहित और प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कार समारोह भी आयोजित किये जाते हैं जिसे राष्ट्रीय स्तर पर राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार कहते हैं। आजकल तो यह पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर हिन्दी में लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। इसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते हैं। इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले को 2लाख रूपए, द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को डेढ़ लाख रूपए और तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को पचहत्तर हजार रुपये मिलता है। साथ ही दस लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में दस-दस हजार रूपए नगद प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कार प्राप्त सभी लोगों को स्मृति चिह्न भी दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाना है।राजभाषा कीर्ति पुरस्कार के तहत कुल 39 पुरस्कार दिये जाते हैं। यह पुरस्कार किसी समिति, विभाग, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिन्दी भाषा का स्वेच्छापूर्वक अधिक से अधिक प्रयोग करने से है।अनेक नामचीन हिन्दीसेवियों का यह भी मानना है कि हिन्दी दिवस, हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाडा तथा आजकल हिन्दी माह मनाने का प्रचलन केवल सरकारी कामकाज की तरह है, जिसे केवल सितंबर महीने(हिन्दी महीने) तक ही मना दिया जाता है जिससे हिन्दी भाषा का कोई भी विकास संभव नहीं है।आजादी के अमृतमहोत्सव वर्ष 2023 में तो हिन्दी से अपने अपनत्व की भावना का विकास करना होगा जिससे भारत एक विकसित राष्ट्र बन सके। हिन्दी को भारत की राष्ट्रीय भाषा के रुप में अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिल सके और हिन्दी आत्मनिर्भर भारत तथा विकसित भारत के भाल पर भारत की बिन्दी बन सके।
-अशोक पाण्डेय

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