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हे नयनपथगामी भगवान जगन्नाथ!

आप प्रातः स्मरणीय, दर्शनीय, वंदनीय और अपनी मानवीय लीलाओं को लेकर अनुकरणीय महामानव हैं।हे पूर्ण दारूब्रहृम!
जिस प्रकार श्रीराम ने दण्डकारण्य बनाया, श्रीकृष्ण ने वृन्दावन बनाया, इन्द्र ने नन्दन वन बनाया और पाण्डवों ने खाण्डव वन बनाया ठीक उसी प्रकार आपने नीलाचल पर्वत बनाया और अनादि काल से नीलमाधव के रूप में पुरुषोत्तम क्षेत्र में पूजित हो रहे हैं। आपके समक्ष दोनों हाथ ऊपर कर आज मैं सभी के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।
-अशोक पाण्डेय

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