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आपरेशन सिंदूर की कामयाबी पर एक तरफ भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान बीकानेर जाकर मां करणी माता के दर्शन किए

आपरेशन सिंदूर की कामयाबी पर एक तरफ भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान बीकानेर जाकर मां करणी माता के दर्शन किए वहीं स्थानीय कल्पना चौक पर बिल्डर सुभाष चन्द्र भुरा के नेतृत्व में मां भगवती श्री करणी माता मंदिर में सायंकाल पूजा अर्चना की गई। अवसर पर भुवनेश्वर बीकानेर जिला परिषद के सभी पदाधिकारी, मारवाड़ी सोसायटी भुवनेश्वर के अनेक पदाधिकारी, परशुराम मित्र मण्डल के अनेक पदाधिकारी आदि उपस्थित होकर मां की पूजा-अर्चना की। गौरतलब है कि मां भगवती करणी माता का जन्म विक्रम संवत 1444 आसोज शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन सुवाप गांव जिला जोधपुर में हुआ था। वे सात बहनों में 6 नंबर की बहन थी। बाल्यकाल से चमत्कारों से वे लोक में विख्यात हुई । उनकी शादी साठीका गांव जंगल प्रदेश में देपा जी के साथ हुई । उनके चार पुत्र हुए जिनके वंशज आज देश के कोने कोने में बसे हैं और मां की पूजा पाठ पूरे विधि विधान से करते आ रहे हैं । माता करणी को बचपन से ही गायों की सेवा करना अच्छा लगता था। मां करणी जी ने जन मानस को गायों की सेवा का महत्व समझाया सेवा की माता ने 10000 बीघा रक्षित भूमि छोड़ी, जहां देश में सभी के पशुधन प्रचुर मात्रा में घास मिलती है और वहां पर बेर के पेड़ होने से लोगों के आज भी जीविका में फायदा मिलता है। मां की गायों की सेवा में लगा मां का अनन्य भक्त दशरथ मेघवाल जो गायों की रक्षा करते हुए शहीद हुआ तब मां ने उसके पार्थिव शरीर को गोद में रखकर उसको वचन दिया कि तू हमेशा मेरी आंखों के सामने रहेगा इसी कारण आज भी करणी माता मंदिर में मां के मूर्ति के सामने ही गेट के पास दशरथ जी का मंदिर बना हुआ है जहां वचन अनुसार जब मां की दो समय जो पूजा आरती होती है सुबह की आरती और शाम की आरती उसमें जब तक दशरथ जी की ज्योत नहीं की जाती है तब तक मां की आरती पूर्ण नहीं होती। मां ने सामाजिक समरसता को देखते हुए सभी जातियों को एक समान माना सभी का अपने सेवा में योगदान लिया,आज जहां चिराग के लिए तेली चिराग का तेल लाते हैं, पिंजारे से रूई आती है | जोधपुर और बीकानेर नगर की स्थापना श्री करणी माता जी ने की है। एक समय जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर आपसी झगड़ा चलता था उन सभी को एक साथ लाकर तीनों की जहां सीमाएं मिलती है वहां पर करणी जी ने अपना अंतिम स्थान चुना, उसे स्थान पर 151 वर्ष उम्र पूर्ण करने के बाद ज्योतिर्विलीन हुए, मां ने अपने जीवन काल में कई चमत्कार दिए, मां का जन्म अपनी मां के गर्भ में 21 माह के बाद हुआ, अपने पिताजी को सर्प से डसने के बाद जिंदा किया, पूगल राव शेखा की खुद चील बनकर जेल छुड़ाई, और कोसों दूर बैठे झगड़ु सा की जहाज को देशनोक में बैठे हुए जल से बाहर ले आई ऐसे मां के अनेकों चमत्कार है 1971 में जब भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ तब से आज तक हर बार मां ने अपने लाडले शूरवीरों का मान बढ़ाया और विजय प्राप्त कराई ।जब-जब वीर सैनिकों ने मां को याद किया मां हर पल साथ रही है। हमेशा विजय तिलक से वीरों का मान बढ़ाया। कई बार युद्ध में ऐसे बम गिरे हैं जो मां की कृपा से एक भी नहीं फटा है। सेना जहां भी जाती हैं वहां मां का मंदिर बना देती है और मां हर पल सब के साथ रहती है। बीकानेर राजा महाराजा जब भी कोई युद्ध में जाते तब मां को नमन कर जाते, हर बार विजय प्राप्त करते, अटूट आस्था रही है राजपरिवार में| 2002 में जब बीकानेर आयुध डिपो में आग लगी तब हजारों रॉकेट, बीकानेर में गिरे मगर किसी को खरोच तक नहीं आई, जबकि 80 ट्रक आयुध के जलकर खाक हो गए,सब मां की कृपा से संभव हुआ । जब सूरत में प्लेग़ फैला था हर भक्त जगह-जगह से मां के मंदिर में आकर चूहों के जूठे जल को पीकर स्वस्थ हुए और विशेष जांच में पाया गया कि ये चूहे (काबा) सामान्य चूहे नहीं है ये सबसे अलग हैं क्योंकि सबको पता है कि मां के सबसे छोटे पुत्र लक्ष्मण जी की मृत्यु के बाद जब मां ने वापस धर्मराज से अपने पुत्र को लाकर जिंदा किया तो यमराज को वचन दिया आज के बाद मेरी संतान तेरे पास कभी नहीं आएगी तब मां ने मंदिर में यह अपने बच्चों का काबे का रूप बनाया और आज हजारों चूहे मंदिर में स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं, मां की महिमा अपरंपार है मां आज भी पूरे विश्व में चूहों वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध है और आज लोक देवी के रूप में मां घर घर पूरी जाती है। आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से अजय अग्रवाल, मनसुख लाल सेठिया, लालचंद मोहता, आनंद पुरोहित आदि उपस्थित थे। गौरतलब है कि भुवनेश्वर बीकानेर जिला परिषद में लगभग एक हजार सदस्य हैं।
अशोक पाण्डेय

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