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Day: January 5, 2024

त्रेता में भी एकबार जब श्रीराम की सेवा के लिए होड़ लगी थी

-अशोक पाण्डेय गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं-राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है,कोई कवि बन जाए सहज संभाव्य है। वे

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