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Month: March 2025

ओड़िशा को विकसित ओड़िशा प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने में सहायक हैं प्रोफेसर अच्युत सामंत और उनकी विश्वस्तरीय संस्थाएं-कीट-कीस और कीम्सNews

ओड़िशा को विकसित ओड़िशा प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने में सहायक हैं प्रोफेसर अच्युत सामंत और उनकी विश्वस्तरीय संस्थाएं-कीट-कीस और कीम्स

भुवनेश्वरःअशोक पाण्डेयः यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि 1992-93 ओड़िशा को प्रगतिपथ पर आगे बढ़ाने में सहायक हैं महान्

“व्यक्ति प्रतिदिन जीता -मरता है।”

-अशोक पाण्डेय ——————– मेरा यह व्यक्तिगत विचार है अपने लंबे जीवन के अनुभव का कि प्रत्येक व्यक्ति अपने निर्धारित दायित्वों
बिस्वास,भुवनेश्वर के सौजन्य से राजभवन भुवनेश्वर में पहली बार मनाया गया बिहार दिवसNews

बिस्वास,भुवनेश्वर के सौजन्य से राजभवन भुवनेश्वर में पहली बार मनाया गया बिहार दिवस

संस्था के अध्यक्ष राजकुमार के अनुसार आयोजन बिहार-ओड़िशा की सांस्कृतिक और लोक पारंपरिक एकता को बढ़ावा देने की दिशा में

“समय दुश्मनी को दोस्ती में बदल देता है।”

-अशोक पाण्डेय ——————– जीवन में मजबूरी का भी अपना विशेष महत्त्व है। एक नदी में अचानक बाढ़ आई। नदी के
आईआईटी भुवनेश्वर में रक्तदान शिविर का आयोजनNews

आईआईटी भुवनेश्वर में रक्तदान शिविर का आयोजन

118 यूनिट रक्त एकत्रित भुवनेश्वर, 22 मार्च 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुवनेश्वर ने एनजीओ सहाय और कैपिटल हॉस्पिटल भुवनेश्वर
वृक्षारोपण के लिए आईआईटी भुवनेश्वर पुरस्कृतNews

वृक्षारोपण के लिए आईआईटी भुवनेश्वर पुरस्कृत

भुवनेश्वर, 21 मार्च 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुवनेश्वर को वर्ष 2025 के लिए वृक्षारोपण/वनीकरण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए
भुवनेश्वर में  श्री श्याम ज्योति पाठ का भव्य मंगलपाठ आयोजितNews

भुवनेश्वर में श्री श्याम ज्योति पाठ का भव्य मंगलपाठ आयोजित

भुवनेश्वर,21 मार्च, अशोक पाण्डेय: स्थानीय रिद्धि सिद्धी एनक्लेव, भुवनेश्वर में 21मार्च को समय: सुबह 11 बजे से देर रात तक

“मेरी मानें तो‌ एक वृक्ष के गुण को अपनाएं “

-अशोक पाण्डेय ——————- एक वृक्ष हमेशा स्थिर, प्रसन्न ,शांत , शीतलता प्रदान करने वाला और आश्रय देने वाला होता है।

“अनुचिंतन”

अंतरिक्ष से जंग जीतकर अंतरिक्ष परी सुनीता विलियम्स धरती पर लौटीं हैं। वे 9 महीने बाद लौटीं हैं। इसीलिए आपके

अनुचिंतन

क्या लेकर आये हैं? क्या लेकर जाएंगे?-अशोक पाण्डेय ——————– इस मृत्युलोक का सबसे बड़ा शाश्वत सत्य यही है कि मनुष्य

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