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Month: April 2025

आईआईटी भुवनेश्वर के शोधकर्ताओं द्वारा सीट अदला-बदली को  सरल बनाने वाला ऐप विकसितNews

आईआईटी भुवनेश्वर के शोधकर्ताओं द्वारा सीट अदला-बदली को सरल बनाने वाला ऐप विकसित

भुवनेश्वर, 7 अप्रैल 2025: आईआईटी भुवनेश्वर के एक हालिया नवाचार का उद्देश्य भारत में ट्रेन यात्रा को सरल बनाना है।
भगवान परशुराम से बड़ा न कोई शिक्षक है, न ही कोई योद्धाNews

भगवान परशुराम से बड़ा न कोई शिक्षक है, न ही कोई योद्धा

-पण्डित सुनिल भराला , माननीय श्रम कल्याण राज्य मंत्री, उत्तरप्रदेश सरकार. भगवान श्री परशुराम का व्यक्तित्व आज भी त्याग, तपस्या,
श्रीहरि मंदिर नया रथ लोकार्पितNews

श्रीहरि मंदिर नया रथ लोकार्पित

भुवनेश्वर, रामनवमी, अशोक पाण्डेय: स्थानीय तेरापंथ भवन में रामनवमी के दिन श्रीहरि सत्संग समिति, भुवनेश्वर के सौजन्य से वनांचल में

“मर्यादा”

-अशोक पाण्डेय ———————– ‘मर्यादा’एक शाश्वत व व्यक्तिगत जीवन शैली है जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के व्यक्तिगत जीवन से,बाल संस्कार से
आईआईटी भुवनेश्वर के प्रवाह -सांस्कृतिक और तकनीकी उद्यमिता वार्षिक उत्सव  का भव्यता के साथ उद्घाटनNews

आईआईटी भुवनेश्वर के प्रवाह -सांस्कृतिक और तकनीकी उद्यमिता वार्षिक उत्सव का भव्यता के साथ उद्घाटन

भुवनेश्वर, 5 अप्रैल 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुवनेश्वर के संयुक्त सांस्कृतिक और तकनीकी उद्यमिता वार्षिक महोत्सव प्रवाह के पहले

“अच्छे लोग आपको अच्छा और बुरे लोग आपको बुरा समझते हैं।”

-अशोक पाण्डेय ——————– प्रत्येक व्यक्ति की अपनी- अपनी निजी सोच होती है। अच्छे लोग दुनिया को अच्छा समझते हैं‌ और

“स्वयं के मूल्यांकन करने की आदत अपने अंतर्मन से डालें!”

-अशोक पाण्डेय ———————– आजतक आपने अपना मूल्यांकन स्वयं न करके दूसरों के द्वारा ही किया है। ‘आप क्या हैं?’- इसको

पुत्र -मोह से बचें!

-अशोक पाण्डेय ———————– भारतीय पुरुष प्रधान समाज में पुत्र -मोह सबसे खराब और खतरनाक है। मनोविज्ञान कहता है कि एक
आईआईटी भुवनेश्वर ने ओडिशा के इतिहास और विरासत को श्रद्धांजलि देते  हुए उत्कल दिवस मनायाNews

आईआईटी भुवनेश्वर ने ओडिशा के इतिहास और विरासत को श्रद्धांजलि देते हुए उत्कल दिवस मनाया

भुवनेश्वर, 2 अप्रैल 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुवनेश्वर ने उत्कल दिवस को भव्य तरीके से मनाया। इस अवसर पर

“अगर हम न कुछ करेंगे न‌ दूसरों को कुछ भला करने देंगे। सिर्फ अच्छे काम करने वाले की टांग खींचने की संस्कृति को विकसित करेंगे तो किसी का भला नहीं होगा।”

-अशोक पाण्डेय ———————- आज के एक मात्र सामाजिक प्राणी मनुष्य की मनोवृत्ति एक संस्कार और एक नई संस्कृति के रूप

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