-अशोक पाण्डेय
जिस अनाथ बालक को कभी दो शाम का भोजन नहीं मिलता था वही बालक आज अपने पुरुषार्थ,त्याग,लगन,सत्यनिष्ठा,सदाचार और कठोर परिश्रम के बल पर दुनिया का महान् शिक्षाविद् बन गया है।वह कोई और नहीं है अपितु प्रोफेसर अच्युत सामंत हैं,ओड़िशा की माटी के लाल। जिसने अपने अदम्य साहस और विश्वास के बल पर मात्र पांच हजार रुपये की अपनी जमा पूंजी से 90 के दशक में राजधानी भुवनेश्वर में कीट (कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डस्ट्रीयल टेक्नालोजी) तथा कीस(कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंसेज)दो शैक्षिक संस्थाएं एक किराये के मकान में खोली वे दोनों शैक्षिक संस्थाएं आज दो डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुकी हैं। एक तरफ कीट में कुल लगभग 40 हजार युवा-युवती उच्च व उत्कृष्ट शिक्षा अर्जित कर रहे हैं तो वहीं कीस में कुल लगभग 40 हजार अनाथ,बेसहारे आदिवासी बच्चे निःशुल्क समस्त आवासीय सुविधाओं के साथ केजी कक्षा से लेकर पीजी कक्षा तक उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।प्रोफेसर अच्युत सामंत का कीट अगर एक कारपोरेट है तो कीस उसका सामाजिक दायित्व है।कीस तो भारत का वास्तविक शांतिनिकेतन है जहां पर प्रतिवर्ष कुल 40-40 हजार आदिवासी बच्चे सच्चरित्र और जिम्मेदार नागरिक बनकर तथा स्वावलंबी बनकर अपने-अपने जीवन क्षेत्र में जा रहे हैं।सच तो यह भी है कि अबतक कुल 22 से भी अधिक नोबेल पुरस्कार विजेता कीट-कीस का दौरा कर चुके हैं। विश्व के अनेक राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, राजनेता,राजदूत,राज्यपाल,विधिवेत्ता, फिल्मी हस्तियां, खिलाडी, अभिनेता आदि कीट-कीस का दौरा कर चुके हैं।वहीं 2015 में कीस को यूएन में विशेष सलाहकार का दर्जा भी मिल चुका है।गौरतलब है कि लगभग एक वर्ष के लिए बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद रहे प्रोफेसर अच्युत सामंत 5 वर्षों के लिए कंधमाल संसदीय लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं। प्रोफेसर अच्युत सामंत का लक्ष्य है कि 2030 तक ओड़िशा के प्रत्येक जिले में कीस की शाखाएं वे खोलेंगे जहां पर निःशुल्क तथा जीवनोपयोगी शिक्षा प्रदानकर आदिवासी समुदाय की गरीबी और भूखमरी को वे समाप्त कर देंगे। अपनी शैक्षिक पहल कीट-कीस-कीम्स(मेडिकल कॉलेज) तथा अनेकानेक सामाजिक दायित्वों के बदौलत देश-विदेश के नामी विश्वविद्यालयों से प्रोफेसर अच्युत सामंत को अबतक कुल 67 मानद डॉक्टरेट की डिग्री मिल चुकी है। इसप्रकार कीट-कीस-कीम्स के संस्थापक प्रोफेसर अच्युत सामंत आज की तारीख में भारत के इकलौते ऐसे शिक्षाविद् बन चुके हैं जिनको अबतक कुल 67 मानद डॉक्टरेट की डिग्री मिल चुकी है।
सच्चे गांधीवादी प्रोफेसर अच्युत सामंत जो इसके लिए बहुत-बहुत बधाई।
-अशोक पाण्डेय
67 मानद डॉक्टरेट की डिग्री पानेवाले भारत के इकलौते शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत
