-अशोक पाण्डेय
हाल ही में डॉ. फग्गन सिंह कुलस्ते के नेतृत्व में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याणार्थ संसदीय स्थायी समिति (2024-25) ने कीट-कीस रविवार को केआईआईटी और केआईएसएस का अध्ययन दौरा किया। समिति के सदस्यों ने कीट डीम्ड विश्वविद्यालय के विभिन्न परिसरों का दौरा किया और कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (कीस डीम्ड विश्वविद्यालय) में भी कई विभागों का निरीक्षण किया।कीस के लगभग 40,000 आदिवासी छात्र-छात्राओं की एक सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. कुलस्ते ने कहा कि वे भारत और विदेशों में कई संस्थानों का दौरा किये हैं लेकिन कीस जैसा कुछ कभी उन्होंने कहीं नहीं देखा। यहां के छात्रों द्वारा प्रदर्शित ऊर्जा और कौशल वास्तव में दूसरों के लिए प्रेरणादायक है। “एक ही स्थान पर इतने सारे बच्चों को शिक्षित करना और साथ ही उनकी प्रतिभा का पोषण करना एक महत्त्वपूर्ण कार्य है।” उन्होंने आदिवासी छात्रों को निःशुल्क मिलनेवाली उत्कृष्ट शिक्षा और खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के सुअवसर वह भी बच्चों की आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखकरउन्हें हरप्रकार से सक्षम बनाने के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की है। कीस भारत के लिए एक आश्चर्य और एक आदर्श संस्थान है। अन्य राज्यों को इस मॉडल को दोहराना चाहिए, और संसदीय समिति देश भर में कीस मॉडल को लागू करने की दिशा में काम करेगी-ऐसाडॉ. कुलस्ते ने कहा।समिति की एक अन्य सदस्य, सांसद प्रतिमा मंडल ने अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा, कि वे कीस का दौरा कर कीस से बहुत प्रभावित हैं। शिक्षा सामाजिक और राष्ट्रीय विकास का एकमात्र मार्ग है और कीस आदिवासी समुदायों की शिक्षा और समग्र विकास को बढ़ावा देने में एक उदाहरण स्थापित करता है। इस संस्थान में आना एक दिव्य अनुभव जैसा है क्योंकि उन्होंने इन बच्चों के चेहरे पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए।कार्यक्रम के आरंभ में कीट और कीस के संस्थापक प्रो.डॉ. अच्युत सामंत ने स्वागत भाषण दिया जबकि कीस डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीपक कुमार बेहरा ने धन्यवाद दिया।
अशोक पाण्डेय
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याणार्थ संसदीय पैनल द्वारा कीट-कीस का अध्ययन दौरा हुआ
