-अशोक पाण्डेय
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रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की जबकि रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की। रामायण लेखन की प्रेरणा स्वयं मां सरस्वती जी ने दी थी जबकि रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने सुख और आनंद के लिए की थी। रामायण संस्कृत में है जबकि रामचरितमानस अवधी भाषा में है। रामायण का अर्थ है राम का घर जबकि रामचरितमानस में मानस का अर्थ तालाब है। रामायण राम का मंदिर है जहां पर जाने के लिए नहा- धोकर और कुछ पूजा और दान के लिए ले जाना पड़ता है।जो पूरी तरह से शुद्ध होते हैं वे ही रामायण कथा का श्रवण कर सकते हैं जबकि मानस में कोई भी डुबकी लगा सकता है, पवित्र हो सकता है।जो पूरी तरह से मन, वचन और कर्म से शुद्ध हो जाते हैं उनके लिए ही रामायण है जबकि सभी प्रकार की शुद्धता प्राप्ति के लिए रामचरितमानस है। इसलिए जो शुद्ध हो चुके है वे रामायण में चले जाए और जो अशुद्ध हैं उनकी अशुद्धता मिटाता है “रामचरित मानस। मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी का श्रीरामचरितमानस कथा एक अमृत रस है जिसे जितनी बार सुना जाए सनातनी जीवन के लिए लाभकारी है।
-अशोक पाण्डेय
