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सदा संतोषी बनें!

-अशोक पाण्डेय
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एक किसान के चार बेटे थे। एक दिन किसान अपने चारों बेटों को बुलाया और कहा कि मैं मरने वाला हूं लेकिन उसके पहले अपनी सारी जायदाद सबसे होशियार बेटे को दे देना चाहता हूं जो चारों भाइयों को एकसाथ खुशी -खुशी रख सके। किसान ने कहा कि इसके लिए वह एक परीक्षा लेना चाहता है। उसने अपने चारों बेटों को अपने घर के एक खाली कमरे में एक- एक करके भेजा और कुछ न कुछ लाने के लिए कहा। किसान के तीनों बड़े बेटे घर में एक -एक करके गये और खाली घर देखकर घर की दीवार पर टंगी तस्वीर आदि लेकर आ गये। अंत में ,सबसे छोटा बेटा गया और खाली घर देखकर खाली हाथ वापस लौट आया। किसान ने पूछा कि तुम कुछ नहीं लाए तो छोटे बेटे ने जवाब दिया कि वह संतोष लेकर लौटा है। किसान ने उसी को अपने घर का भावी जिम्मेदार बना दिया।
-अशोक पाण्डेय

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