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“धीरज का फल”

-अशोक पाण्डेय
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एकबार किसी राज्य में अकाल पड़ा। सभी भूख से मरने लगे। उस राज्य के राजा को कोई संतान नहीं थी। इसलिए उसने यह घोषणा की कि वह छोटे -छोटे बच्चों को सत्तू की रोटी मुफ्त खिलाएगा। अगले दिन राजा के महल के सामने बच्चों की लंबी कतार लग गई। राजा ने सभी बच्चों को अपने हाथों से एक एक सत्तू की रोटी दी। एक छोटी बालिका सबसे पीछे खड़ी थी। उसकी जब बारी आई तो एक छोटी रोटी ही बची थी। राजा ने वह रोटी उस बच्ची को दे दी। बच्ची अपने घर गई। जैसे ही रोटी को खाने के लिए तोड़ी उसमें एक हीरा निकला।वह अपनी मां को दिखाई। मां ने उसे राजा को लौटा देने के लिए कहा। बच्ची राजा के पास जाकर उस हीरे को लौटा दी। अगले दिन राजा उस बच्ची के घर आया। उस बच्ची समेत उसके माता-पिता को भी अपने राज्य में ले गया और उन्हें अपने राज्य में रख लिया। राजा को कोई संतान नहीं थी इसलिए वह उस बच्ची को गोद ले लिया। मान्यवर धीरज और ईमानदारी का आपके जीवन में विशेष महत्त्व होना चाहिए।
-अशोक पाण्डेय

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