-अशोक पाण्डेय
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कबूतर शांति और समृद्धि का संदेशवाहक पक्षी माना जाता है। इसकी पुष्टि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन के समय मुख्य अतिथि द्वारा कबूतर छोड़ने की सुदीर्घ परंपरा है। दूसरी तरफ, व्यापारी, कारोबारी, उद्योगपति और नि: स्वार्थ दानदाता नियमित रूप से कबूतरों को सालभर दाना खिलाते हैं। गौरतलब है कि कबूतर की जाति बनिया अर्थात् व्यापारी की जाति होती है। इसीलिए व्यापारी समुदाय प्रतिदिन सुबह में कबूतरों को दाना अवश्य खिलाते हैं और यह कोशिश करते हैं कि कबूतर के उड़ने की हवा उनके घर के बच्चों पर अवश्य पड़े जिससे कि बच्चा बड़ा होकर अपने व्यापार को ही आगे बढ़ाए।और वह स्वावलंबी बनकर अपने व्यापार की उत्तरोत्तर वृद्धि कर सके।
-अशोक पाण्डेय