भुवनेश्वरः16 अप्रैलः अशोक पाण्डेयः
प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी चिन्ता-व-चेतना संस्था के सौजन्य राजधानी भुवनेश्वर के रवीन्द्रमण्डप सभागार में 48वें वैशाखी महोत्सव की दूसरी शाम भी आध्यात्मिक कार्यक्रमों की धूम देखने को मिली।गौरतलब है कि 15-19 अप्रैल तक यह आयोजन चलेगा। लगातार 48 वर्षों से इस आयोजन की खास बात यह रहती है कि समारोह के मुख्यअतिथि के रुप में पहण्डी विजय कराकर भगवान जगन्नाथ को आरुढ़ किया जाता है। अवसर पर भगवान जगन्नाथ की पहण्डी विजय को देखने के लिए तथा उनको जगन्नाथ संस्कृति के तहत मंचारुढ़ कराने की आध्यात्मिक छटा को देखने के लिए रवींन्द्र मण्डप में 16 अप्रैल की शाम भी जगन्नाथ भक्तों की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। रवीन्द्र मण्डप के प्रवेशद्वार से पहण्डी विजय कराकर भगवान जगन्नाथ के सेवायतों द्वारा जब महाप्रभु को मंचारुढ़ किया गया तो ओड़िशी नृत्य, गोटपुअ नृत्य,घंट-मर्दन की मधुर ध्वनि से मण्डप का परिवेश जगन्नाथमय हो उठा जिसमें ओड़िया धरित्री के मालिक तथागत सतपथी,मनोरंजन पाणिग्राही,मिहिर दास,आद्यासा जैसे अनेक जगन्नाथ भक्त तथा ओड़िशीप्रेमी थे जिन्होंने अपने-अपने संबोधनों में संस्था के प्रयासों की सराहना की।स्वागत भाषण दिया संस्था के महासचिव सुरेन्द्र दास ने।संस्था को आरंभिक दिनों में पूर्ण सहयोग प्रदान करने हेतु डॉ हरेकृष्ण महताब,स्वर्गीय बीजू पटनायक तथा स्वर्गीया नंदिनी सतपथी आदि को श्रद्धांजलि भी दी गई। अपने संबोधन में तथागत सतपथी ने बताया कि आज यह संस्था अपना 48वां वैशाखी समारोह(ओड़िया नव वर्ष) मना रही है वहीं दो साल के बाद यह संस्था अपनी स्वर्णजयंती भी मनाएगी जिसके लिए संस्था के महासचिव सुरेन्द्र दास के इस भगीरथ प्रयत्न के लिए बहुत-बहुत बधाई।उन्होंने जगन्नाथ संस्कृति की खास बात-अहंकार के त्याग तथा भगवान जगन्नाथ के समक्ष भक्त के दोनों हाथ ऊपर उठाकर आत्मसमर्पण करने को सबसे अच्छी परम्परा बताया। वहीं अशोक पाण्डेय ने बताया कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में ऐसा मंच अथवा समारोह कोई नहीं होता है जिसके मुख्य अतिथि भगवान जगन्नाथ अथवा और कोई देव होते हैं और उनके(मुख्यअतिथि के) आगमन की खुशी में आध्यात्मिक माहौल (भजन-कीर्तन,आध्यात्मिक गीत-संगीत,नृत्य और गगनभेदी वाद्ययंत्रों की ध्वनि होती हो।)।अवसर पर अनेक कलाकारों ने अपने नृत्य-गायन की प्रस्तुति दी। आभार प्रदर्शन किया संस्था के अध्यक्ष डॉ सहदेव साहू ने।
अशोक पाण्डेय