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“सभी अपने मन के राजा बाबू हैं लेकिन प्रत्येक व्यक्ति को तपस्वी राजा बनने की आवश्यकता है।”

-अशोक पाण्डेय

मनोविज्ञान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने मन का राजा होता है। उसकी यह भूमिका हिन्दी फिल्म के “राजा बाबू “की तरह होती है जिसका आकलन यह दुनिया अपने -अपने ढंग से करती है। श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि राजा तीन प्रकार के होते हैं: मनस्वी, तेजस्वी और तपस्वी। मनस्वी राजा रावण था। तेजस्वी राजा दशरथ जी और जनक जी थे।और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम तपस्वी राजा थे। मेरा यह मानना है कि हम अपने मन को “सब पर राम तपस्वी राजा।”-ही बनाएं। दुःखों का वरन स्वयं करें और सुख, शांति और समृद्धि औरों को दें!
-अशोक पाण्डेय

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